एमडीडीए और रेरा देखते रह गए, डीलरों ने शुरू की रजिस्ट्री; पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
प्रॉपर्टी डीलर बाज नहीं आ रहे। रेरा व एमडीडीए के नियमों को धता बताते हुए प्रॉपर्टी डीलर धड़ल्ले से अवैध प्लॉटिंग कर लोगों के सपनों के साथ छल कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ नियम कड़े करने के बाद भी प्रॉपर्टी डीलर बाज नहीं आ रहे। रेरा व एमडीडीए के नियमों को धता बताते हुए प्रॉपर्टी डीलर धड़ल्ले से अवैध प्लॉटिंग कर लोगों के सपनों के साथ छल कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि दोनों एजेंसी के स्तर पर धरातल पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही। हर्रावाला व मियांवाला की सीमा पर 13 बीघा भूमि पर की जा रही अवैध प्लॉटिंग के मामले में भी एमडीडीए व रेरा औपचारिकता ही निभाते रह गए और डीलरों ने इस भूमि पर आठ रजिस्ट्रियां भी कर डाली।
रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का नियम कहता है कि 500 वर्गमीटर से अधिक भूमि पर प्लॉटिंग से पहले रेरा में पंजीकरण कराना जरूरी है। ताकि किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके। इसी तरह एमडीडीए के नियम कहते हैं कि प्लॉटिंग के लिए भूखंड का ले-आउट पास कराया जाना जरूरी है। ताकि लोगों को भूखंड पर समुचित सड़क, जल निकासी के इंतजाम, ग्रीन एरिया की व्यवस्था कराई जा सके। यह बात और है कि तमाम प्रकरणों में शिकायत के बाद भी प्रॉपर्टी डीलर नियमों का मखौल उड़ाते रहते हैं। हर्रावाला व मियांवाला मामले में भी एमडीडीए को जब शिकायत मिली तो क्षेत्रीय अभियंता यह कहकर लौट आए कि अभी धरातल पर कुछ काम नहीं हुआ है और रेरा ने एक नोटिस जारी कर अपना काम पूरा कर लिया। इस बीच सोमवार व मंगलवार को भूखंड पर आठ रजिस्ट्रियां कर दी गई तो मामला शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक तक जा पहुंचा। उन्होंने इस रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए एमडीडीए व रेरा को अवैध प्लॉटिंग रोकने के निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने एमडीडीए से सवाल किया कि जब उस समय धरातल पर कोई काम नहीं किया था तो क्या उन्होंने यहां जमीन न खरीदने संबंधी कोई बोर्ड लगाए थे। इसका कोई जवाब अधिकारी नहीं दे पाए।
रेरा ने एमडीडीए को लिखा पत्र
शहरी विकास मंत्री के निर्देश के बाद रेरा सदस्य सीएमएस बिष्ट ने एमडीडीए को पत्र लिखकर बिना पंजीकरण की जा रही प्लॉटिंग पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। इसके साथ ही भूखंड के खसरा नंबर 587क, 588 मि, 590, 591, 593, 994 व 996 की रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को भी पत्र भेजा जा रहा है।
प्रॉपर्टी डीलरों ने बदली रणनीति, लोगों के हित और खतरे में
पहले प्रॉपर्टी डीलर भले ही ले-आउट पास न कराएं, मगर अपने नक्शे के अनुसार सड़क, स्ट्रीट लाइट आदि का इंतजाम जरूर कर देते थे। इस तरह का निर्माण करने पर एमडीडीए अधिकारी आसानी से पता लगा लेते थे कि यह अवैध प्लॉटिंग है। अब प्रॉपर्टी डीलरों ने पकड़ से बचने के लिए बिना सड़क आदि का निर्माण किए ही प्लॉट बेचने शुरू कर दिए हैं। इससे अवैध प्लॉटिंग तो हो ही रही है, लोगों के खून-पसीने की कमाई लगाने के बाद भी उनके हाथ कोरी जमीन का टुकड़ा ही आ रहा है। इस ताजा प्रकरण में भी डीलरों ने यही खेल किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।