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उत्‍तराखंड में लॉकडाउन में हादसों में आई गिरावट, बची सैकड़ों जिंदगियां

उत्‍तराखंड में बीते पांच महीनों में कोरोना ने भले ही सौ से अधिक जिंदगियों को छीना लेकिन सड़क हादसों पर गौर करें तो स्थिति संतोषजनक नजर आएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 12:14 PM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 01:54 PM (IST)
उत्‍तराखंड में लॉकडाउन में हादसों में आई गिरावट, बची सैकड़ों जिंदगियां
उत्‍तराखंड में लॉकडाउन में हादसों में आई गिरावट, बची सैकड़ों जिंदगियां

देहरादून, संतोष तिवारी। बीते पांच महीनों में कोरोना ने भले ही सौ से अधिक जिंदगियों को छीना, लेकिन सड़क हादसों पर गौर करें तो स्थिति संतोषजनक नजर आएगी। इस दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से कम निकले, निकले तो चप्पे-चप्पे पुलिस तैनात थी कि कहीं कोई कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है। इस डर से ही सही, सड़क पर चलने वालों ने यातायात के नियमों का पालन किया और नतीजा सड़क हादसों में कमी के रूप में सामने आई।

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यातायात निदेशालय के सड़क हादसों के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते साल मार्च से लेकर जुलाई के मध्य 598 हादसे हुए, जिसमें 360 की जान गई और 694 घायल हुए। वहीं, इस साल मार्च से लेकर जुलाई तक केवल 280 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 193 की मौत हुई और 211 घायल हुए। जाहिर है कि लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों में कमी आई और सैकड़ों जिंदगियां असमय काल के गाल में समाने से बच भी गईं। ऐसा क्यों हुआ इस पर गौर करने की जरूरत है।

दरअसल, आम दिनों में सड़क पर वाहनों की रेलमपेल रहती है और यातायात नियमों की अनदेखी भी खूब होती है, जो सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बनती है। वहीं कोरोना काल में सड़क पर चलने का तरीका बदला। अब लोग जाम में फंसने के बजाए एक-दूसरे से दूरी बनाने की कोशिश करते हैं, ताकि उन्हें कोरोना का संक्रमण न हो जाए। 

इससे आगे भी बच सकते हैं सड़क दुर्घटनाओं से

  • कार या दोपहिया वाहन से यात्रा कर रहे है तो अपनी गाड़ी की गति हमेशा नियत्रिंत रखे। ताकि यदि अचानक से कोई वाहन या जानवर सामने से आ जाये तो आप हादसे से बच सके।
  • तकरीबन साठ प्रतिशत हादसे नींद की वजह से होते है तो यदि आप रात में सफर तय कर रहे है तो अपने ड्राइवर से बातें करते रहे ताकि ना तो उसे नींद लगे और आप सड़क हादसों से भी बचे रहे।
  • वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करे। करीब 20 प्रतिशत हादसे वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करने या किसी को मैसेज भेजने की वजह से होते है।
  • शराब पीकर या नशा करने के बाद तो वाहन बिल्कुल ना चलाए।
  • हमेशा यू-टर्न या मोड़ पर गाड़ी बहुत संभाल कर निकाले।
  • रात के समय डिपर का प्रयोग अवश्य करें।
  • ओवरटेक हमेशा सीधी साईड से ही करे।
  • ट्रक और ओवरलोडेड वाहनों के पास से गुजरते समय पास और हार्न का उचित उपयोग करें।
  • भीड़ वाले रास्तों पर अपने वाहन की गति हमेशा धीमी ही रखे। क्योंकि दुर्घटना से देर भली।
  • ट्रैफिक नियमों को अनदेखा ना करे ये हमारी सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं। ट्रैफिक नियमों का पालन अवश्य करे।
  • बाइक से यात्रा कर रहे है तो हेलमेट का प्रयोग अवश्य करे। बाइक मुड़ने पर इंडीकेटर का उपयोग करें।
  • हेलमेट का प्रयोग करने पर यदि हादसा हो भी जाता है तो आप दिमाग और सर में लगने वाली चोट से बच सकते हैं।
  • गलत या उल्टी साइड से अपने वाहन को ना निकाले। ज्यादा जल्दी करने से आपका ही नुकसान होगा।
  • स्कूल, कॉलेज, अस्पताल के सामने से निकलने पर गति 10 से 20 किमी के आसपास ही रखें। किसी गली या मोहल्ले से गुजरते समय बेहद सावधानी बरते क्योंकि कभी भी कोई बच्चा अचानक वाहन के सामने आ सकता है।

महामारी से भी घातक होते हैं सड़क हादसे

  • सड़क दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा 15-29 वर्ग के युवा शामिल है।
  • कम और मध्यम आय वाले देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। इन देशों में सड़क हादसों की संख्या विकसित देशों की तुलना में दोगुनी है।
  • विकसित देशों में गाड़ियों में इलेक्ट्रानिक स्टेबलिटी कंट्रोल के इस्तेमाल को जरुरी बनाया गया है। वहीं निम्न आय वर्ग के देश में कंपनिया समान मॉडल की गाड़ियों में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती, इसके पीछे वहां का कमजोर कानून है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिये गये है। इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारक का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है। 
  • 16 बच्चे हर रोज सड़क दुर्घटना में हर रोज मारे जाते हैं। 
  • सड़क दुर्घटना में 25 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हो जाते हैं।
  • भारत में शहरों के ट्रांसपोर्ट प्लानिंग औ्र डिजाइनिंग की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। आमतौर पर ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि किसी तरह सड़क निर्माण हो जाए। 

बोले अधिकारी

केवल खुराना (डीआईजी-निदेशक, यातायात निदेशालय, उत्तराखंड) का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार मार्च से लेकर जुलाई महीने के बीच सड़क हादसे कम हुए है। लोगों की सड़क व बाजारों में आवाजाही कम रही। यातायात का संचालन कम होने के कारण सड़क दुर्घटनाएं भी घटी है। हादसों में कमी लाने के लिए लोगों को यातायात नियमों की पालना करना जरूरी है।

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