Updated: Mon, 29 Sep 2025 11:45 AM (IST)
उत्तराखंड में छात्र संघ चुनावों में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिससे राजनीति को नई दिशा मिली। अभाविप ने 80% सीटें जीतकर धामी सरकार के कामकाज पर युवाओं का समर्थन जताया। विपक्ष के आरोपों के बावजूद छात्रों ने अभाविप पर भरोसा जताया और राष्ट्रवादी विचारधारा में विश्वास व्यक्त किया। सरकार ने परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए हैं जिससे युवाओं में सकारात्मक संदेश गया है।
जागरण, संवाददाता, देहरादून । उत्तराखंड में हुए छात्र संघ चुनावों में छात्रों ने जिस उत्साह से भागीदारी कर अपना निर्णय सुनाया, उसने सियासत की दशा-दिशा को भी जता दिया है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर प्रकरण और भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच ये माना जा रहा था कि छात्र-युवा आक्रोशित हैं। लेकिन, जिस तरह से छात्र संघ चुनाव संपन्न हुए, उसने तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दिया। महाविद्यालयों में छात्र संघ की लगभग 80 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की झोली में गई हैं।
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इसे धामी सरकार के कामकाज पर युवाओं की मुहर के तौर पर भी देखा जा रहा है। जाहिर है कि छात्र संघ चुनाव के नतीजों ने राजनीति के मैदान में बड़ा संदेश भी दिया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर प्रकरण को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष और कुछ संगठन इन दिनों आंदोलित हैं।
क्या सरकार से नाराज चल रहे युवा?
ऐसे में माना जा रहा था कि छात्र व युवा राज्य में सत्तासीन सरकार और भाजपा के आनुषांगिक संगठनों से नाराज चल रहे हैं। इसकी आंच छात्र संघ चुनावों पर भी पड़ेगी। साथ ही यह भी प्रचारित किया जा रहा था कि चुनाव में अभाविप को करारी हार का सामना करना पड़ेगा। लेकिन, चुनावों के नतीजे बताते हैं कि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में छात्रों, विशेषकर जेन-जी पीढ़ी ने अभाविप पर जिस तरह से भरोसा जताते हुए उसे ऐतिहासिक जीत दिलाई, वह यह साबित करती है कि वे राष्ट्रवादी विचारधारा में विश्वास रखते हैं। छात्र संघ चुनाव के नतीजों को धामी सरकार के कामकाज पर युवाओं की मुहर से भी जोड़कर देखा जा रहा है। धामी सरकार ने हाल के वर्षों में भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने, नकल पर रोक लगाने को कानून सख्त बनाने और परीक्षा व्यवस्था में सुधार जैसे कदम उठाए हैं।
चिंताओं को गंभीरता से ले रही सरकार
नकल रोधी कानून, तकनीकी निगरानी व्यवस्था और सख्त प्रशासनिक पहलों ने युवाओं के बीच सकारात्मक संदेश पहुंचाया है कि सरकार उनकी चिंताओं को गंभीरता से ले रही है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर प्रकरण सामने आने पर सरकार ने तत्काल कार्रवाई की। साथ ही प्रकरण की जांच को एसआइटी गठित की है और अब न्यायिक आयोग भी गठित कर दिया है।
अभाविप के प्रांत कार्यालय मंत्री प्रशांत डोभाल का कहना है कि अभाविप की यह जीत केवल संगठनात्मक क्षमता का परिणाम नहीं है। यह उन युवाओं के विश्वास का प्रतीक है, जिन्होंने सरकार के कामकाज और नीयत पर सहमति जताई है।
विपक्ष की ओर से बार-बार आंदोलन और प्रदर्शन के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश के बावजूद छात्रों ने यह दिखाया कि वे नकारात्मक राजनीति से ज्यादा विकास और पारदर्शिता को महत्व देते हैं। संगठन ने इन चुनावों में अध्यक्ष के 58 पदों सहित 332 पदों पर जीत दर्ज कर भगवा परचम फहराया है।
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