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    Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड की सियासत में आप की बिसात

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Sun, 20 Dec 2020 09:10 AM (IST)

    उत्तराखंड में वर्ष 2022 को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इस कड़ी में कुमाऊं के दौरे के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसोदिया ने हरिद्वार व देहरादून में बैठकें की।

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    Uttarakhand Assembly Election 2022: उत्तराखंड की सियासत में आप की बिसात।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इस कड़ी में कुमाऊं के दौरे के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसोदिया ने हरिद्वार व देहरादून में बैठकें कीं। उन्होंने जिस तरह पार्टी कार्यकर्त्ताओं के साथ ही समाज के बुद्धिजीवी वर्ग और शिक्षाविदों से मुलाकात की, उससे माना जा रहा है कि पार्टी इनके जरिये अपनी रीति नीति स्पष्ट कर आमजन तक अपनी पहुंच बनाने की तैयारी में है। 

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    उत्तराखंड में आप की यह पहली राजनीतिक पारी नहीं है। इससे पहले भी वह 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश की पांचों सीटों पर प्रत्याशी उतार चुकी है। हालांकि, तब पार्टी नई थी और प्रदेश में उनका नेटवर्क भी बहुत मजबूत नहीं था। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए आप अभी से इसकी तैयारियों में जुट गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि पार्टी सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत उत्तराखंड में तेजी से कदम बढ़ाने भी शुरू कर दिए हैं। मनीष सिसोदिया पार्टी को बूथ स्तर तक पहुंचाने की मुहिम के साथ उत्तराखंड पहुंचे हैं। 

    इसके लिए उन्होंने हरिद्वार व देहरादून में पार्टी कार्यकर्त्ताओं के साथ मुलाकात कर पार्टी को और अधिक मजबूत बनाने का मंत्र दिया तो राज्य से जुड़े विभिन्न मसलों पर भी गहन मंथन भी किया और इस दिशा में तेजी से काम करने को कहा। आप ने दिल्ली मॉडल को उत्तराखंड में लागू करने की बात कह कर कहीं न कहीं दिल्ली की लोकप्रियता को उत्तराखंड में भुनाने की रणनीति तय की है। पार्टी ने यह भी साफ किया है कि चुनाव प्रदेश के ही किसी साफ-सुथरी छवि के व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर लड़ा जाएगा। 

    साफ है कि आप कहीं न कहीं प्रदेश की राजनीति में पैराशूट प्रत्याशियों को उतारने से उबरने वाले असंतोष को भुनाने का भी प्रयास कर रही है। आप के इस दौरे से भाजपा व कांग्रेस की बयानबाजी कहीं न कहीं इस ओर इशारा भी कर रही है कि उन्हें भविष्य में अपनी राजनीतिक जड़ों के कमजोर होने का खतरा भी सता रहा है। इन परिस्थितियों में आप प्रदेश में कितना सफल हो पाएगी फिलहाल यह भविष्य की गर्त में ही है।

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