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    दुनिया में 4200 साल पहले पड़े भयंकर सूखे की कहानी, 500 साल तक हुआ था असर

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 01:08 PM (IST)

    लगभग 4200 साल पहले दुनिया ने एक भीषण सूखे का सामना किया, जिसका असर 500 सालों तक रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ, जिससे वर्षा के पैटर्न बदल गए। इस सूखे ने सभ्यताओं को तबाह कर दिया, जिससे शहर उजड़ गए और लोग पलायन करने को मजबूर हुए। इस आपदा से सबक लेते हुए, जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

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    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में प्रस्तुत किया गया 24 हजार साल पहले तक की जलवायु का विवरण। प्रतीकात्‍मक

    सुमन सेमवाल, देहरादून। जब हम भविष्य की दिशा तय करते हैं तो इतिहास में पीछे झांकना भी जरूरी हो जाता है। खासकर जब हम जलवायु की बात करते हैं तो ऐतिहासिक आंकड़े हमें भविष्य की दिशा बताने और उसके मुताबिक नीति निर्धारित करने में अहम योगदान करते हैं। हमारे विज्ञानियों ने अपने अध्ययन से इतिहास में झांककर बताया है कि करीब 4200 साल पहले भयंकर सूखा पड़ा था और यह अवधि करीब 500 साल तक रही।

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    वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में हाल में रखे गए शोध में बीरबल साहनी पुराजीव विज्ञान संस्थान और कच्छ विश्वविद्यालय के विज्ञानियों (जयभारती, प्रसन्ना, बिनीता, पंकज कुमार और गौरव चौहान) ने कहा कि जलवायु के हजारों साल के राज केंद्रीय गंगा मैदानों से बाहर आए हैं।

    लखनऊ क्षेत्र में 08 मीटर गहराई में खोदाई कर मिट्टी के नमूने लिए गए। जिनकी कार्बन-14 डेटिंग की गई। जिसके तहत 24 हजार साल से लेकर 03 हजार साल पहले तक के जलवायु के आंकड़े लिए गए। नमूनों में टोटल आर्गेनिक कार्बन (टीओसी) की मात्रा 3.97 प्रतिशत पाई गई। इसकी अवधि 20 हजार पहले की पाई गई। उस समय वर्षा की अधिकता थी, नदी, तालाबों में पानी था और जीवन फूल-फल रहा था।

    वहीं, कार्बन सल्फर अनुपात (300) ने बताया कि उसी अंतराल में हिमयुग की समाप्ति के बाद वर्षा की दशा में सुधार हुआ। हालांकि, मैग्नेटिक रिकार्ड में यह मापा गया कि चुंबकीय खनिज कितने हैं और समय के साथ कैसे बदले। मैग्नेटिक संकेत की कमी ने बताया कि 4200 साल पहले मानसून कमजोर पड़ा और सूखे के हालात पैदा हो गए। यह अवधि कम से कम 300 से 500 साल तक रही।

    सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन का कारण बना सूखा

    लखनऊ में मध्य गंगा के मैदानों की मिट्टी से जो राज बाहर आए हैं, वह बहुत बड़े भूभाग में सूखे की कहानी भी बयां करते हैं। उसी दौर में सिंधु घाटी की सभ्यता का पतन होने के प्रमाण भी हैं। वहीं, मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं पर भी उसी दौर में संकट बढ़ा था और एशिया के कई क्षेत्रों में जनसंख्या विस्थापन के प्रमाण भी अध्ययन के आंकड़ों से मेल खाते हैं।

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