वैज्ञानिकों ने रहस्य से उठाया पर्दा, एक अरब साल पहले पिघला हुआ था पृथ्वी का कोर
वैज्ञानिकों के अनुसार, एक अरब साल पहले पृथ्वी का कोर या तो बहुत छोटा था या अस्तित्व में नहीं था, जिससे चुंबकीय उलटफेर अस्थिर थे। ठोस कोर के बनने से चुंबकीय क्षेत्र में स्थिरता आई और बाहरी कोर के ठंडा होने की दर बढ़ी। जियोडायनेमो के कारण पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय ढाल बनती है, जो हमें सौर विकिरण से बचाती है। वैज्ञानिकों ने चुंबकीय उलटफेर के पूर्वानुमान को बेहतर बनाया है।

पृथ्वी का कोर एक बड़ा पिघला हुआ धात्विक गोला था और ध्रुवों का उलटफेर बेहद अस्थिर था। प्रतीकात्मक
सुमन सेमवाल, देहरादून। आज पृथ्वी के भीतर तरल बाहरी कोर के अलावा एक ठोस भीतरी धात्विक कोर मौजूद है। लेकिन, एक अरब साल पहले यह ठोस कोर या तो बहुत छोटा था या मौजूद ही नहीं था। लिहाजा, तब चुंबकीय क्षेत्र की सारी ऊर्जा तरल धातु की गति से बनती थी। तब चुंबकीय उल्टफेर या तो नियमित होते थे या अस्थिर होते थे। पृथ्वी के प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र के इन रहस्यों को आइएसएम धनबाद के विज्ञानी पार्थ पी जना, देवोपम घोष और स्वर्णदीप साहू ने नई दिशा दी। इस अध्ययन को हाल में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने नेशनल जियो रिसर्च स्कालर्स मीट में प्रस्तुत किया गया।
अध्ययन के हवाले से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों के रहस्यों को जानने से पहले इसकी महत्ता जाननी आवश्यक है। पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उसके बाहर स्थित लोहे से भरपूर तरल कोर की गति से उत्पन्न होता है। यह प्रक्रिया जियोडायनेमो कहलाती है। इसकी गति से पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय कवच बनता है, जो हमें अंतरिक्षीय विकिरण, सौर हवाओं के प्रकोप और ओजोन परत को नष्ट होने से बचाता है। अध्ययन बताता है कि पृथ्वी के इतिहास में कई चुंबकीय अल्टफेर हुए। यानी उत्तर ध्रुव दक्षिण बना और दक्षिण बना उत्तर।
एक अरब साल पहले (प्रोटेजोइक काल) यह बदलाव चक्रीय रूप से होते थे। लेकिन, समय के साथ ठोस भीतरी कोर बनने से चुंबकीय क्षेत्र में स्थिरता आ गई। साथ ही इससे बाहरी कोर के ठंडा होने की दर बढ़ी और उसे नियंत्रित भी किया। तापमान का अंतर बढ़ने से मजबूत संवहन (कन्वेक्शन) शुरू हुआ। जिसने चुंबकीय क्षेत्र को अधिक स्थित स्थिर और शक्तिशाली बनाने में मदद की। इस मजबूत चुंबकीय कवच से ही पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ और इसके बिना जीवन संभव नहीं है।
भूगर्भ में 2900 किमी नीचे से बनती है चुंबकीय ढाल
विज्ञानियों ने इसे आसान भाषा में समझाते हुए कहा कि चुंबकीय क्षेत्र दो स्रोतों से नहीं, बल्कि केवल एक बड़े प्राकृतिक मोटर से बनाता है। जियोडायनेमो के रूप में यह पृथ्वी की सतह से लगभग 2900 किलोमीटर नीचे है। जहां लोहे और निकिल का पिघला हुआ महासागर घूम रहा है। यह तेल धातु लगातार घूमती है और बिजली प्रवाह करती है। इसी से पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय ढाल बनती है।
चुंबकीय उलटफेर अधिक पूर्वानुमान योग्य
विज्ञानियों के अनुसार भीतरी ठोस कोर से चुंबकीय उलटफेर के पूर्वानुमान को बेहतर बनाया है। पिछला मैग्नेटिक रिवर्सल 7.8 लाख वर्ष पहले हुआ। वहीं, निकट भविष्य ऐसे किसी बदलाव के संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि, जब यह होगा तो पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र 80 से 90 प्रतिशत तक कमजोर हो जाएगा। जीपीएस सिग्नल में गड़बड़ी होगी और मौसम उपग्रह प्रभावित होंगे। इसके अलावा हवाई जहाजों के नेविगेशन में समस्या आएगी और अंतरिक्ष यानों पर रेडिएशन का खतरा रहेगा। इंटरनेट बाधित हो सकता है और प्रवासी पक्षी रास्ता भटक सकते हैं।

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