उत्तराखंड के जंगलों में 72 दिन में झुलसे 5600 पेड़, पढ़िए पूरी खबर
शीतकाल की दस्तक के साथ ही जंगलों के झुलसने से परेशान वन महकमे ने शनिवार को राज्य में हुई बारिश-बर्फबारी से राहत की सांस ली है। हालांकि एक अक्टूबर से 1 ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, देहरादून। शीतकाल की दस्तक के साथ ही जंगलों के झुलसने से परेशान वन महकमे ने शनिवार को राज्य में हुई बारिश-बर्फबारी से राहत की सांस ली है। हालांकि, एक अक्टूबर से 11 दिसंबर के वक्फे में ही वनों में आग की 207 घटनाएं हुई, जिनमें 291.52 हेक्टेयर जंगल झुलसा है। इस आग में 10 हेक्टेयर में लगा प्लांटेशन राख हो गया तो 5600 पेड़ भी झुलसे हैं। जाहिर है कि यदि इंद्रदेव मेहरबान नहीं होते तो आग की घटनाओं में और इजाफा हो सकता था। हालांकि, अब जिस तरह से मौसम का मिजाज है, उसे देखते हुए वन महकमे को उम्मीद है कि अगले कुछ दिन आग के लिहाज से राहत भरे रहेंगे।
प्रदेश में अमूमन गर्मियों में पारे की उछाल के साथ ही जंगल सुलगते आए हैं, लेकिन इस बार तो अक्टूबर से ही वनों के धधकने का क्रम शुरू हो गया। हालांकि, पूर्व के वर्षों में भी सर्दियों में जंगलों में आग की छिटपुट घटनाएं होती रही हैं, लेकिन इस मर्तबा ये लगातार सुलग रहे हैं। सूरतेहाल, चिंता बढ़ने लगी थी। अल्मोड़ा, चमोली, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व देहरादून जिलों के जंगलों में आग की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, वन महकमा आग बुझाने में जुटा था और इसमें ग्रामीणों का सहयोग भी निंरतर मिल रहा था, लेकिन नजरें आसमान पर ही टिकी हुई थीं। आखिरकार, शनिवार को हुई वर्षा-बर्फबारी ने महकमे की मुराद पूरी कर दी।
राज्य में जंगल की आग
- क्षेत्र, घटनाएं, प्रभावित क्षेत्र, प्लांटेशन क्षति, पेड़ों को क्षति
- गढ़वाल, 127, 177.15, 4.5, 3000
- कुमाऊं, 80, 114.37, 5.5, 2600
- (नोट: प्रभावित क्षेत्र व प्लांटेशन हेक्टेयर और घटनाएं व पेड़ संख्या में)
367 ग्रामीणों का सहयोग
जंगलों की आग पर नियंत्रण में इस मर्तबा ग्रामीणों का भी भरपूर सहयोग वन महकमे को मिल रहा है। विभागीय आंकड़ों को ही देखें तो आग बुझाने में 367 ग्रामीण भी जुटे रहे। इसके अलावा राजस्व, पुलिस, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ का सहयोग भी विभाग को मिला है।

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