उत्तराखंड में आपदा प्रभावित 395 गांवों को पुनर्वास का इंतजार, जानें-किस जिले का क्या है हाल
उत्तराखंड में आठ साल में 26 गांवों के 634 परिवारों का पुनर्वास ही हो पाया है जबकि 395 गांवों को अब भी इंतजार है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। आठ साल में 26 गांवों के 634 परिवारों का पुनर्वास। 395 गांवों को अब भी इंतजार। यह है आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास की तस्वीर। ऐेसे में सरकारी रवायत की सुस्त रफ्तार के चलते वर्षाकाल में इन गांवों में बादलों के घिरते ही सांसें अटकने लगती हैं। लोगों की जुबां पर यही शब्द होते हैं कि हे भगवान बरसात न हो।
प्राकृतिक आपदाओं से उत्तराखंड निरंतर जूझ रहा है। खासकर पर्वतीय इलाकों में आपदा से गांवों के लिए खतरा बढ़ रहा है। आपदा प्रभावितों के पुनर्वास की कार्रवाई तेज करने के मद्देनजर वर्ष 2011 में पुनर्वास नीति लाई गई। 2012 से इस पर कार्य शुरू हुआ और अब तक केवल 26 गांवों के प्रभावित परिवारों का ही पुनर्वास हो पाया है। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों को ही देखें तो ऐसे गांवों की संख्या बढ़कर 395 पहुंच गई है, जो आपदा के चलते रिहायश के लिहाज से असुरक्षित हो चले हैं। इनमें से 225 का भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण भी हो चुका है, जबकि बाकी में यह कार्यवाही चल रही है। बावजूद इसके, इन गांवों का पुनर्वास का इंतजार निरंतर बढ़ रहा है।
आपदा प्रभावित गांव
जिला, संख्या
पिथौरागढ़, 129
उत्तरकाशी, 62
चमोली, 61
बागेश्वर, 42
टिहरी, 33
पौड़ी, 26
रुद्रप्रयाग, 14
चंपावत, 10
अल्मोड़ा, 09
नैनीताल, 06
देहरादून, 02
ऊधमसिंहनगर, 01
शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि निश्चित रूप से आपदा प्रभावित गांवों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। सरकार प्रयास कर रही है कि आपदा प्रभावित परिवारों का जल्द से जल्द पुनर्वास हो। इसके लिए धनराशि मुहैया कराने के मद्देनजर केंद्र सरकार से आग्रह किया जा रहा है।
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अब तक पुनर्वास की स्थिति
जिला, गांव, परिवार
चमोली, 08, 191
टिहरी, 05, 311
रुद्रप्रयाग, 06, 60
बागेश्वर, 05, 51
पिथौरागढ़, 02, 21
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