उत्तराखंड के लाखों छात्र-छात्राओं को मिलने जा रही राहत, शिक्षा मंत्री ने दिए ये निर्देश; जानिए
उत्तराखंड बोर्ड के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी की तर्ज पर 30 फीसद कटौती होगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकट काल में ऑनलाइन समेत विभिन्न माध्यमों से घरों में ही पढ़ने को मजबूर उत्तराखंड बोर्ड के लाखों छात्र-छात्राओं को राहत मिलने जा रही है। बोर्ड के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी की तर्ज पर 30 फीसद कटौती होगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने शुक्रवार को अकादमिक शोध और प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी को इस संबंध में निर्देश दिए। कम किए गए पाठ्यक्रम के आधार पर ही छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं होंगी।
प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड बोर्ड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया है। कोरोना के चलते पढ़ाई पर पड़े बुरे असर की वजह से एनसीईआरटी अपने पाठ्यक्रम में 30 फीसद कटौती करने का निर्णय ले चुकी है। राज्य सरकार ने भी एनसीईआरटी की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस संबंध में शुक्रवार को अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी से दूरभाष पर वार्ता के दौरान ये निर्देश दिए।
प्रदेश में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लागू होने के बाद से यानी बीते मार्च माह से ही सभी शिक्षण संस्थाएं बंद हैं। कोरोना संक्रमण में तेजी से हो रही वृद्धि के चलते अनलॉक-चार में भी शिक्षण संस्थाओं को खोलने को फैसला नहीं हो पाया है। ऐसे में सरकारी विद्यालयों, सहायताप्राप्त समेत उत्तराखंड बोर्ड से मान्यताप्राप्त गैर सरकारी विद्यालयों में भी ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। इससे अब तक स्वाभाविक रूप से चल रही पढ़ाई पर असर पड़ा है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सर्वे में भी यह बात सामने आ चुकी है कि ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ सभी छात्र-छात्राओं को नहीं मिला है। दूरदराज ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्ट फोन समेत ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जरूरी सुविधाओं, की कमी बनी हुई है। ऐसे में पूरा पाठ्यक्रम लागू होने से छात्र-छात्राओं पर दबाव पडऩा तय था। इसे देखते हुए ही पाठ्यक्रम में कटौती का निर्णय लिया गया। उत्तराखंड बोर्ड के पाठ्यक्रम में एनसीईआरटी से अलग भी पुस्तकें भी लागू हैं। शिक्षा मंत्री ने इन पुस्तकों के पाठ्यक्रमों में भी 30 फीसद कटौती के निर्देश दिए हैं। साथ ही बुनियादी ज्ञान के लिए जरूरी पाठ्यक्रम में कटौती नहीं करने की हिदायत भी दी गई है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को भी राहत रहेगी।