देहरादून में अंडों से निकले किंग कोबरा के 24 सपोले
देहरादून जनपद के मसूरी वन प्रभाग की चामासारी बीट के सहस्रधारा क्षेत्र में किंग कोबरा के अंड़ों से 24 सपोलों ने जन्म लिया। इससे वन विभाग टीम काफी उत्साहित है। वनकर्मियों ने इन सपोलों को राजाजी नेशलन पार्क में छोड़ दिया है।
देहरादून। देहरादून जनपद के मसूरी वन प्रभाग की चामासारी बीट के सहस्रधारा क्षेत्र में किंग कोबरा के अंड़ों से 24 सपोलों ने जन्म लिया। इससे वन विभाग टीम काफी उत्साहित है। वनकर्मियों ने इन सपोलों को राजाजी नेशलन पार्क में छोड़ दिया है।
बता दें कि पिछले जुलाई माह में इफ़ेक्ट संस्था को मसूरी वन प्रभाग की चामासारी बीट के सहस्रधारा क्षेत्र में बड़ा सांप होने की सूचना मिली थी। इसी दौरान संस्था को सहस्रधारा बस स्टेंड से दो सौ मीटर दूर एक युकलिप्टस पेड़ के नीचे किंग कोबरा का घोसला मिला। उसमें कोबरा के 29 अंडे मिले। इस पर इफेक्ट संस्था वन विभाग की टीम के साथ अंडों की रखवाली कर रही थी। कल रात अंडों से 24 किंग कोबरा के सपोले निकले। वन विभाग की टीम ने उन्हें राजाजी नेशनल पार्क में छोड़ दिया है।
दूसरा मौका है जब मिले कोबरा के अंडे
उत्तराखडं राज्य बनने के बाद यह दूसरा मौका है जब कोबरा के अंडे मिले। इससे पहले कुमाऊं मंडल से कोबरा के अंडे मिले थे। अभी मसूरी वन प्रभाग की चामासारी बीट के सहस्रधारा क्षेत्र से बड़ी मात्रा में कोबरा के अंडे मिले हैं।
यह है किंग कोबरा
किंग कोबरा अपने फन के लिए विख्यात है। सांपों में किंग कोबरा ही ऐसा है, जो फन उठाकर सरपट रैंग सकता है। इनकी कुल 270 प्रजातियां हैं, जिनमें टैपन्स, अड्डेर्स, मैंबस और समुद्र में रहने वाला क्रैट्स सापं भी शामिल हैं। इन सभी के फन होते हैं। किंग कोबरा गर्म उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। किंग कोबरा सिर्फ उत्कृष्ट पेड़ पर चढ़ने वाले ही नहीं, बल्कि अच्छे तैराक भी होते हैं। यह नदी किनारे जंगलों में रहते हैं। अपने शिकार के पीछे तेजी से फन उठाकर दौड़ता है। किंग कोबरा को कैनेबल्स भी कहा जाता है। मतलब यह दूसरे सांपों को भी खा जाते हैं।
किंग कोबरा बनाता है घोसला
जी हां, सांपों में कोबरा ही है जो अपने अंडों के लिए घोसला बनाता है। कोबरा जब अंडे देता है तो उसकी सुरक्षा के लिए चारों ओर घास-फूस और पत्ते एकत्र कर घोसला बना देता है। इससे उसके अंडे सुरक्षित रहते हैं। मादा किंग कोबरा अंडों को 10 से 15 दिन तक सेकती है। इसके बाद वह नर कोबरा को लेकर दूसरी जगह चली जाती है। इसी दौरान सपोले अंडों से बाहर निकलते हैं।
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