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तीन साल में चली गईं 15 लोगों की जिंदगी, शासन को 110 करोड़ की चिंता

देहरादून के बल्लीवाला का खूनी फ्लाईओवर महज तीन साल में 15 लोगों की जिंदगी लील चुका है लेकिन शासन को 110 करोड़ की चिंता सता रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 06:30 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 06:30 PM (IST)
तीन साल में चली गईं 15 लोगों की जिंदगी, शासन को 110 करोड़ की चिंता

देहरादून, सुमन सेमवाल। बल्लीवाला का खूनी फ्लाईओवर महज तीन साल में 15 लोगों की जिंदगी लील चुका है। लेकिन, शासन ने इस बेढंगे और संकरे फ्लाईओवर के बगल में दूसरा डबल लेन फ्लाईओवर बनाने के लिए 110 करोड़ रुपये का इंतजाम करने से हाथ खड़े कर दिए थे। मई 2018 में हाईकोर्ट के आदेश पर लोनिवि ने ही एक और डबल लेन फ्लाईओवर के निर्माण की संभावना टटोलते हुए शासन को रिपोर्ट सौंपी थी। जिसे अपर मुख्य सचिव (लोनिवि) ओम प्रकाश नकार चुके हैं।

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अप्रैल 2019 में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बल्लीवाला फ्लाईओवर का निरीक्षण किया तो उन्होंने भी सुरक्षा के लिए हरसंभव विकल्प अपनाने के निर्देश लोनिवि अधिकारियों को दिए थे। इसमें एक और डबल लेन फ्लाईओवर का निर्माण और मौजूदा फ्लाईओवर के डिजाइन में बदलाव जैसे विकल्प भी थे। यह बात और है कि अधिकारियों ने मुखिया के निर्देशों को अनसुना कर दिया। जिसकी कीमत लोगों को जान गंवाकर चुकानी पड़ रही है।   

अफसरों के रुख पर सीएम को बोलना पड़ा था, 'जान से बड़ा नहीं बजट' 

पूर्व में प्रकाशित जागरण की खबर का संज्ञान लेकर 22 अप्रैल 2019 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बल्लीवाला फ्लाईओवर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि फ्लाईओवर वाकई संकरा है और इसमें सुधार की जरूरत है। उन्होंने जब लोनिवि अधिकारियों से इस पुल के बगल में एक और फ्लाईओवर बनाने की बात की तो उन्होंने 110 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट का रटारटाया राग अलाप दिया। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट जान से बड़ा नहीं है। लिहाजा, एक और फ्लाईओवर की संभावना तलाशने के साथ ही फ्लाईओवर के तीव्र मोड़ को कम करने के लिए इसकी लंबाई बढ़ाने पर भी काम किया जाए। 

हाईकोर्ट में झूठ बोलकर जनता पर थोपा संकरा फ्लाईओवर 

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हो रहे हादसों को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि नियमों के विपरीत इस फ्लाईओवर को फोरलेन की जगह डबल लेन बनाया गया है। कोर्ट ने जब इस पर जवाब-तलब किया तो अधिकारियों ने सफेद झूठ बोल दिया कि जमीन अधिग्रहण के पेच के चलते डबल लेन निर्माण किया गया। बताया गया कि 125 भवन इसकी जद में आ रहे थे और उन्हें हटाना संभव नहीं था। जबकि सच्चाई यह है कि अधिग्रहण को लेकर अधिकारियों और स्थानीय कारोबारियों व अन्य लोगों के बीच कई दौर की वार्ता हुई। हर बार यह बात सामने आई कि फ्लाईओवर फोर लेन में ही बनना चाहिए। 

बेढंगा फ्लाईओवर बनाने पर तुले अफसरों ने नियम किए दरकिनार 

-मार्च 2013 में अन्य फ्लाईओवर के साथ बल्लीवाला फ्लाईओवर का भी शिलान्यास किया गया। 

-इसके करीब डेढ़ साल बाद मई 2014 में निर्माण की एनओसी केंद्र से ली गई, जबकि निर्माण से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत एनओसी लेनी जरूरी थी। 

-फिर एनओसी के विपरीत फोर लेन की जगह दो लेन में निर्माण किया गया। 

-जब भी मानकों के विपरीत काम करने की बात आई तो नोडल एजेंसी लोनिवि व निर्माण कंपनी ईपीआइएल के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। 

इसलिए जरूरी है एक और फ्लाईओवर 

डबल लेन फ्लाईओवर पर दोनों तरफ के वाहन गुजरते हैं। ऐसे में मोड़ वाले हिस्से पर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। यदि यहां एक और फ्लाईओवर बन जाए तो एक फ्लाईओवर से एक ही दिशा वाले वाहन गुजरेंगे और यातायात सुगम हो पाएगा। 

फिजिबिलिटी रिपोर्ट में इस तरह बनाया गया खाका 

-जमीन अधिग्रहण पर करीब 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और लगभग 7000 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण करना होगा। इसमें यूटिलिटी शिफ्टिंग का खर्च भी शामिल है। 

-दूसरी तरफ फ्लाईओवर के निर्माण में महज 20 करोड़ रुपये का ही खर्च आंका गया है। 

दूसरा फ्लाईओवर बना तो यह होगा स्वरूप 

-लंबाई: करीब 800 मीटर 

-एप्रोच रोड: दोनों तरफ करीब 100-100 मीटर 

-चौड़ाई: 8.5 मीटर (डबल लेन) 

सेफ्टी ऑडिट हुआ, तब भी किया समझौता 

बल्लीवाला फ्लाईओवर पर बढ़ते हादसों को देखते हुए दिसंबर 2017 में एडीबी व राजमार्ग अफसरों की संयुक्त टीम ने इसका सेफ्टी ऑडिट किया था। तब भी फ्लाईओवर की कम चौड़ाई व इसके मोड़ पर सवाल खड़े किए गए थे। हालांकि, तब फोर लेन के विकल्प को दरकिनार कर दो लेन फ्लाईओवर को भी दो हिस्सों में बांटने के निर्णय को अमलीजामा पहनाया गया। 

अटपटे प्रयोग तक सिमटे सुरक्षा के उपाय 

सेफ्टी ऑडिट की संस्तुतियों के आधार पर फ्लाईओवर को दो हिस्सों में बांटने के बाद अप्रैल 2019 में मुख्यमंत्री के दौरे के बाद लोनिवि (राजमार्ग यूनिट) अधिकारियों ने पूरे फ्लाईओवर पर रंबल स्ट्रिप्स वाले स्पीड ब्रेकर बना दिए थे। इसका प्रतिकूल असर यह पड़ा कि लोगों ने फ्लाईओवर पर चढऩा ही बंद कर दिया। अब भी करीब 50 फीसद लोग स्पीड ब्रेकर वाले फ्लाईओवर का प्रयोग करने से बचते हैं। इससे बल्लीवाला चौक पर अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। 

दिन भर मना जश्न, रात में छाया मातम 

सैम्यूर्रहमान के घर शुक्रवार को दिन में खुशी का माहौल था। माता-पिता को जब यह खबर मिली कि उनके बेटे को मिस्टर सेंट थॉमस चुना गया, तो उन्हें जरा भी इल्म नहीं था कि इस खुशी वाली खबर के कुछ ही घंटों बाद कहर ढाने वाली खबर मिलने वाली है। देर रात सैम्यू और उत्कर्ष के घरों में जब पुलिस ने बेटों के दुनिया से चले जाने की खबर दी तो परिवार के लोग चीत्कार कर उठे। हादसे की खबर फैलने के बाद शनिवार को दोनों के घरों पर नाते-रिश्तेदारों की भीड़ लग गई। जहां चंद घंटे तक खुशी का माहौल था, वहां से अब केवल रोने-बिलखने की ही आवाजें आ रही हैं। दोनों घरों की दशा देख आसपास के कई घरों में भी चूल्हे नहीं जले। 

सैम्यू के पिता मुजीबुर्रहमान स्कूल चलाते हैं और मां शिक्षिका हैं। सैम्यू शुरू से ही पढ़ाई में होनहार था, स्कूल में उसके काफी अच्छे नंबर आते थे। माता-पिता को उम्मीदें थीं कि एक न एक दिन वह जरूर कामयाब इंसान बनेगा। शुक्रवार को जब सैम्यू को फेयरवेल पार्टी में मिस्टर सेंट थॉमस चुना गया तो उन्हें लगा कि बेटे से उन्हें जो उम्मीदें हैं, आने वाले दिनों में वह जरूर पूरी होंगी। खुद के मिस्टर सेंट थॉमस चुने जाने के बाद सैम्यू ने यह बात खुद घर में पिता को फोन कर बताई थी।

परिवार से जुड़े लोगों ने बताया कि इस दौरान उसने कहा था कि वह अपने दोस्तों के साथ है और घर आने में थोड़ी देर होगी। इसके बाद सैम्यू अपने दोस्त उत्कर्ष, यूपीएसई की कोचिंग कर रहे वसीउर्रहमान और ऑनलाइन मार्केटिंग जॉब कर रहे ईशान के साथ फेयरवेल पार्टी से निकल कर राजपुर रोड होते हुए इनामुल्ला बिल्डिंग के पास पहुंचे। कुछ देर यहां रुकने के बाद तय हुआ कि मुरादाबाद जाने के लिए वसी को आइएसबीटी और उसके बाद उत्कर्ष को देहराखास उसके घर छोडऩे के बाद सैम्यू और ईशान अपने घर चले जाएंगे। इनामुल्ला बिल्डिंग से करीब एक बजे चारों दोस्त दो अलग-अलग बाइक से घरों को निकल पड़े, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि बल्लीवाला फ्लाईओवर पर मौत उनका इंतजार कर रही है। 

इकलौती संतान थे सैम्यू और उत्कर्ष 

हादसे ने दो घरों के चिराग बुझा दिए। साथ ऐसा दर्द दिया, जिसे वह दोनों के माता-पिता ताउम्र नहीं भूल पाएंगे। घर पर जुटे नाते-रिश्तेदारों और हितचिंतकों के पास उन्हें समझाने के लिए शब्द नहीं हैं। सैम्यू के इंजीनियर्स एनक्लेव व उत्कर्ष के देहराखास स्थित घरों पर शनिवार देर रात तक भीड़ जमा रही। वहीं, हादसे को लेकर आसपास के लोग भी स्तब्ध दिखे। 

11 महीनों में 150 की मौत, 143 जख्मी 

देहरादून में जितनी जानें अपराधियों-गैंगेस्टरों ने नहीं ली होंगी, उससे अधिक लोगों को सड़क हादसों ने मौत की नींद सुला दिया। बीते ग्यारह महीने में देहरादून जनपद में सड़क हादसों में करीब डेढ़ सौ लोगों की मौत हुई, जबकि विभिन्न हादसों में 143 लोग जख्मी हुए। सर्वाधिक हादसे चकराता रोड, हरिद्वार रोड और हरिद्वार बाईपास पर हुए। 

चकराता रोड पर पड़ने वाले प्रेमनगर थाना क्षेत्र में 13, विकासनगर में 18 और सहसपुर में 16 की मौतें हो चुकी हैं। वहीं हरिद्वार बाईपास और हरिद्वार रोड पर नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में 12, डोईवाला में 17 व रायवाला क्षेत्र में 11 लोग हादसे के चलते असमय काल के गाल में समा गए। शिमला बाईपास पर पटेलनगर थाना क्षेत्र में बीते ग्यारह महीने के दौरान 11 मौत हो चुकी हैं। 

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कहां कितनी मौतें हुईं 

कोतवाली, 2 

कैंट, 5 

वसंत विहार, 6 

प्रेमनगर, 13 

डालनवाला, 2 

नेहरू कॉलोनी, 12 

रायपुर, 9 

पटेलनगर, 11 

डोईवाला, 17 

क्लेमेनटाउन, 3 

मसूरी, 1 

राजपुर, 2 

ऋषिकेश, 17 

रायवाला, 11 

रानीपोखरी, 3 

विकासनगर, 18 

सहसपुर, 16 

कालसी, 1 

त्यूणी, 1 

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एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि बल्लीवाला फ्लाईओवर पर हादसे को लेकर एसपी ट्रैफिक को निर्देशित किया गया है कि वह मौके का भ्रमण कर पता लगाएं कि हादसे क्यों और किन परिस्थितियों में हो रहे हैं। इस पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। रिपोर्ट में हादसे रोकने के संबंध में जो बातें सामने आएंगी, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 

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