उत्तराखंड के जिला अस्पतालों में मुफ्त होंगी 134 तरह की जांच
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत मरीजों को जिला अस्पतालों में 134 और उप जिला अस्पतालों में 111 प्रकार की जांचें निश्शुल्क होंगी।
देहरादून, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत मरीजों को जिला अस्पतालों में 134 और उप जिला अस्पतालों में 111 प्रकार की जांचें निश्शुल्क होंगी। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए उठाया जा रहा है। अभी तक जिला व उप जिला अस्पतालों में 56 प्रकार की जांचे निश्शुल्क होती हैं।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि अब मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी 28 जांचों के स्थान पर 97 प्रकार की जांचें निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। इस बावत भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
एनएचएम के तहत संचालित योजनाओं की समीक्षा करते हुए डीजी हेल्थ ने जनपदों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व अस्पतालों के प्रमुख चिकित्साधिकारियों व मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि अस्पतालों को आइपीएचएस के मानकों के अनुरूप मजबूत किया जाए। कुछ अस्पतालों में एनएचएम की योजनाओं में संतोषजनक प्रगति नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी जताई है। कहा कि इसमें सुधार किया जाए।
उन्होंने कहा कि मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 64 और उपकेंद्रों में 14 प्रकार की जांचें निश्शुल्क उपलब्ध कराने की सुविधा शुरू कर दी गई है। एनएचएम के अंतर्गत संचालित योजनाओं के कारण मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी, अस्पतालों में प्रसव के स्तर में बढ़ोत्तरी आदि के लिए सभी सीएमओ, सीएमएस व पीएमएस के प्रयासों की सराहना उन्होंने की है।
कहा कि वर्ष 2022 तक मातृ मृत्यु दर को 77 व शिशु मृत्यु दर को 29 और चिकित्सालयों में प्रसव के स्तर को 71 से बढ़ाकर 90 फीसद करना है। इस दिशा में संबंधित अधिकारियों को तेजी से कार्य करने के निर्देश उन्होंने दिए हैं। कहा कि अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अंतर्गत पात्र परिवार के सभी सदस्यों का गोल्डन कार्ड बनाना सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिन सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में उपचार कराने के लिए अधिक संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं वहां पर जल्द ही सीटी स्कैन व एमआरआइ की सुविधा प्रदान की जाएगी। कहा कि इसके लिए जरूरी बजट की मांग एनएचएम से की जाए।
दूरस्थ क्षेत्रों में मरीजों को इमरजेंसी के दौरान जीवन रक्षक प्रणाली में यथाशीघ्र उपचार की सुविधा देने के लिए फर्ट्स रेफरल यूनिट विकसित करने के निर्देश भी उन्होंने विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। कहा कि प्रत्येक जनपद में ट्रामा सेंटर को क्रियाशील बनाया जाए।
एनएचएम के प्रभारी अधिकारी डॉ. जीएस जोशी ने अस्पतालों में एक्सरे व विकिरण उत्पन्न करने वाले उपकरणों की जांच के दौरान टेक्नीशियन व मरीजों को संभावित खतरों से सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। बैठक में जनपदों के सीएमओ, एनएचएम के अधिकारी, अटल आयुष्मान योजना के अधिकारी व अस्पतालों के सीएमएस व पीएमएस भी उपस्थित रहे।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में स्वास्थ्य परीक्षण की रफ्तार कम
आयुष्मान भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए प्रदेश में हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों को शीघ्र संचालित करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए गए हैं। बता दें, ग्रामीण स्तर पर गैर संचारी रोग, तीन प्रकार के कैंसर की जांच, मधुमेह तथा रक्तचाप की जांच के लिए एनएचएम द्वारा प्रदेश के 739 स्वास्थ्य उपकेंद्रों, 257 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 34 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में तैयार किया जा रहा है। इनमें से अभी तक 13 स्वास्थ्य उपकेंद्र, 89 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 34 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में संचालित होने लगे हैं।
निर्धारित मानक के अनुसार इन केंद्रों पर 15 फीसद जनसंख्या का स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए। लेकिन राज्य में यह स्तर 1.6 फीसद के आसपास ही है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने इनमें सुधार लाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं।
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समीक्षा के दौरान नैनीताल व ऊधमसिंहनगर जनपद में संचालित हो रहे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की प्रगति बेहतर पाई गई। सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली सुधारने, सौंदर्यीकरण करने, प्रवेश द्वार की सुंदरता बढ़ाने, वार्ड, पंजीकरण, पूछताछ, इमरजेंसी आदि में साइनेज व बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए पृथक व्यवस्था करने के निर्देश भी अस्पतालों के सीएमएस व पीएमएस को दिए गए हैं।
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