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    चम्‍पावत: चारा पत्ती काटने पेड़ पर चढ़ी थी महिला, दो खेत नीचे बैठा दिखा गुलदार

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 05:30 PM (IST)

    चंपावत के बाराकोट ब्लॉक के धरगढ़ा, च्यूरानी और मिर्तोली क्षेत्र में गुलदार का आतंक है। च्यूरानी गांव में एक महिला को खेत में गुलदार दिखाई दिया। ग्रामी ...और पढ़ें

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    पिंजरे के पास नहीं, आबादी के बीच चहल कदमी कर रहे गुलदार। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, चंपावत । बाराकोट ब्लाक के धरगढ़ा, च्यूरानी और मिर्तोली क्षेत्र में गुलदार का आतंक बरकरार है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजर रहा जब गुलदार न दिखाई दे रहा हो, तथा रात के समय गुर्राने की आवाज न आ रही हो। गुलदार के भय से लोग शाम हाेते ही घरों में दुबकने को मजबूर हैं।

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    गुरुवार की शाम च्यूरानी गांव में अपने खेत के पेड़ पर चढ़कर चारा काट रही महिला को दो खेत नीचे गुलदार बैठा दिखाई दिया। महिला ने शोर मचाने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और उन्होंने शोरगुल कर गुलदार को जंगल की ओर भगाया। च्यूरानी गांव के धरगड़ा तोक में हाल ही में गुलदार एक व्यक्ति को अपना निवाला बना चुका है। फिर से गुलदार दिखने से खौफ पसर गया है।

    भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश सिंह बोहरा ने बताया कि च्यूरानी गांव और उसके आस-पास गुलदार लगातार दिखाई दे रहा है। एक गुलदार को वन विभाग की टीम पहले ही पिंजरे में कैद कर चुकी है। शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे धरगड़ा गांव की महिलाएं पास के जंगल में चारा-पत्ती लेने गई थीं तो उन्हें में गुलदार बैठा दिखाई दिया। महिलाओं ने पटाखे फोड़े और शोर मचाया, जिसके बाद गुलदार भाग गया। एक दिन पूर्व गुरुवार को नाकोट के टाकला क्षेत्र में स्कूल जा रहे बच्चों के पीछे गुलदार के दौड़ने की घटना सामने आई थी।

    वन विभाग ने गांव और स्कूल के आस-पास गश्त बढ़ा दी है। रेंजर आरके जोशी ने बताया कि जहां गुलदार ने स्कूली बच्चों का पीछा किया था वहां विशेष निगरानी रखी जा रही है। इसके अलावा गुलदार प्रभावित अन्य क्षेत्रों में वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है। उन्होंने बताया कि च्यूरानी में पेड़ पर चढ़ी महिला को गुलदार दिखने की सूचना मिली है। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। रेंजर एनडी पांडे ने भी अपने रेंज की टीम के साथ लगातार गश्त कर रहे हैं।

    इसलिए गुलदार आते हैं आबादी की ओर

    • भोजन की तलाश: गुलदार अक्सर पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बकरियों का शिकार करने के लिए आबादी वाले इलाकों में आते हैं, क्योंकि उनके लिए यह आसान शिकार होता है।
    • प्राकृतिक शिकार की कमी: जब जंगल में हिरण, सूअर, बंदर जैसे उनके मुख्य शिकार कम हो जाते हैं, तो वे भोजन की तलाश में बस्तियों की ओर आते हैं।
    • पानी और आश्रय: कभी-कभी पानी या छिपने की जगह की तलाश में भी वे मानव बस्तियों के करीब आ जाते हैं, खासकर सूखे या अत्यधिक बारिश के मौसम में।
    • आवास का सिकुड़ना: जंगलों का कटने और इंसानी गतिविधियों के बढ़ने से उनका प्राकृतिक पर्यावास कम हो रहा है, जिससे वे इंसानी इलाकों में घुसने को मजबूर होते हैं।
    • बारिश का मौसम: बरसात के मौसम में गुलदार ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और इंसानी बस्तियों के करीब देखे जाते हैं, क्योंकि इस दौरान उनके लिए जंगल में शिकार करना मुश्किल हो सकता है।
    • बढ़ती आबादी: गुलदारों की संख्या में वृद्धि होने पर जंगल में पर्याप्त भोजन नहीं मिलता। भोजन की जरूरत बढ़ने पर वे आबादी की तरफ आते हैं।

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