Uttarakhand Panchayat By Election: चंपावत में नहीं मिल पाए 88 वार्ड पंच, एकमात्र वार्ड सदस्य के लिए हुआ चुनाव
चंपावत में पंचायत उपचुनाव के बाद भी 88 वार्ड पंचों के पद रिक्त रह गए हैं। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई पद खाली हैं। दो-तिहाई बहुमत से पंचायतें गठित तो हो गई हैं, पर सभी वार्डों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं हो पाया है।

गुरुवार को चंपावत जिले में एकमात्र वार्ड सदस्य के लिए हुआ उप चुनाव
गणेश पांडे, जागरण चंपावत। सत्ता के लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने व ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने की अवधारणा से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। इस व्यवस्था में जनता के चुने जनप्रतिनिधियों की भूमिका का उल्लेख है।
21वीं सदी की एक चौथाई अवधि बीतने के बाद भी पंचायतें या उसमें निवास करने वाले अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह सजग नहीं हुई है। इसी का नतीजा है कि पहले चुनाव, फिर उप चुनाव के बाद भी चंपावत में वार्ड सदस्य (पंच) के 88 पद रिक्त रह गए हैं।
ग्राम पंचायत के गठन के लिए दो तिहाई पंचों का चुनकर आना जरूरी कोरम पूरा कर देता है। इससे पंचायतें गठित हो जाती हैं लेकिन सभी को समान रूप से नेतृत्व नहीं मिल पाता। सभी को नेतृत्व मिले इसके लिए हर वार्ड में पंच का चुनकर आना जरूरी है।
चंपावत जिले के चार ब्लाक में पंच के 2286 पद हैं। मुख्य चुनाव में 584 पंच (27 प्रतिशत) चुनकर आए थे। रिक्त 1702 पदों के लिए 20 नवंबर को मतदान होना था। उप चुनाव में 1613 पंच निर्विरोध चुने गए। लोहाघाट ब्लाक के सेलपेडू ग्राम पंचायत में एक पंच के लिए दो नामांकन होने से गुरुवार को विधिवत चुनाव हो गया। जिले में वार्ड पंच के अब भी लगभग चार प्रतिशत पद रिक्त रह गए हैं।
ब्लाकवार पंच के खोली पद
- बाराकोट 19
- चंपावत 20
- लोहाघाट 17
- पाटी 32
पंचायतों में पंच की भूमिका
वार्ड का प्रतिनिधित्व, वार्ड सभा की बैठकों का आयोजन व उनकी अध्यक्षता करना, खुली बैठक में वार्ड की समस्याएं उठाना, स्थानीय विकास व कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सहायता पंच का मुख्य काम है। इसके अलावा वार्ड में योजनाएं बनाने, लाभार्थियों की पहचान, योजनाओं के कार्यान्वयन में मदद, विकास कार्यों की निगरानी में भी अहम भूमिका रहती है।
गुरुवार को एक वार्ड पंच के लिए चुनाव हुआ। उप चुनाव के बाद भी जिले में वार्ड सदस्य के 88 पद खाली रह गए हैं। हालांकि दो तिहाई बहुमत होने से जिले की सभी 312 ग्राम पंचायतें गठित हो गई हैं। - यूआर जौला, सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी, चंपावत

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