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    नाबालिग बहन के दुष्कर्मी भाई को मिली सजा, 25 साल तक जेल में रहेगा कैद

    चंपावत के विशेष सत्र न्यायालय ने नाबालिग बहन से दुष्कर्म के मामले में भाई को 25 साल की कठोर कैद और दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न भरने पर दो साल की अतिरिक्त सजा होगी। अदालत ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया क्योंकि उन्होंने पीड़िता की गर्भावस्था की सूचना पुलिस को नहीं दी थी।

    By ganesh pandey Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 28 May 2025 04:19 PM (IST)
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    नाबालिग बहन के दुष्कर्मी भाई को 25 वर्ष का कठोर कारावास. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, चंपावत। विशेष सत्र न्यायालय ने नाबालिग बहन के दुष्कर्मी भाई को 25 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। लैंगिक हिंसा से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत अभियुक्त पर दो लाख का अर्थदंड भी लगा है।

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    अर्थदंड न देने पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। अवयस्क व अविवाहित पीड़िता के गर्भवती होने की सूचना पुलिस को न देने पर निजी अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध पोक्सो एक्ट की धारा-19 प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय सुनाया है।

    अभियोजन के अनुसार टनकपुर थाना क्षेत्र की 17 वर्षीय पीड़िता ने जनवरी 2024 को निजी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। प्रसव होने से 10 दिन पहले पेट में दर्द होने पर पीड़िता को निजी अस्पताल में दिखाया गया था। तब मां को बेटी के गर्भवती होने की जानकारी हुई। डर व लोकलाज से किसी को नहीं बताया।

    प्रसव होने के बाद पिता ने प्राथमिकी दर्ज करवाई। बड़े भाई ने बहन से जबरन शारीरिक संबंध बनाए। विधि प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर बच्चे के अभियुक्त के होने की पुष्टि हुई। अभियोजन पक्ष ने आरोप सिद्ध करने के लिए सात गवाह व 27 साक्ष्य प्रस्तुत किए। इसके आधार पर विशेष सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल ने 23 वर्षीय अभियुक्त को दोषी ठहराया।

    निर्णय में कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए लिखा- ''तुझ पर उठी हर निगाह का अस्तित्व मैं मिटा दूंगा, जब भी पडे़गी तुझे जरूरत तेरे साथ खड़ा रहूंगा।'' आगे लिखा भाई-बहन का रिश्ता ऐसा है, जिसे न अल्फाज की जरूरत है, न किसी माध्यम की। अभियुक्त के कृत्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

    बच्ची के विरुद्ध यौन अपराध होने की जानकारी पुलिस को नहीं देने के लिए टनकपुर के तुषार अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय भी सुनाया। अभियाेजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी तनुजा वर्मा ने पैरवी की।