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    स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र- देश की नदियों के वैदिक नामों को पुनर्स्थापित करने पर दिया जोर

    Updated: Wed, 21 Feb 2024 03:28 PM (IST)

    Joshimath News प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने पवित्र नदियों के सर्वोपरि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत् ...और पढ़ें

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    देश की नदियों के वैदिक नाम हो बहाल- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

    संवाद सूत्र, जोशीमठ। ज्योतिष्पीठ के संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर देश की नदियों के लिए वैदिक नामों को पुनर्स्थापित करने की बात कही है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की नदियों के प्राचीन नामकरण पर विशेष जोर दिया है।

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    प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने पवित्र नदियों के सर्वोपरि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया है। श्रीमद्भागवत महापुराण और ऋग्वेद जैसे पवित्र हिन्दू धर्मग्रन्थों के उद्धरणों का हवाला देते हुए देशवासियों, प्रकृति और विरासत के लिए नदियों के शाश्वत महत्व के साथ-साथ उनके वैदिक नामों पर भी प्रकाश डाला है।

    इन पवित्र नदियों के नामों में हाल के बदलावों या विकृतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने नरेंद्र दामोदरदास मोदी से उनकी वैदिक उपाधियों को बहाल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लेने के लिए आग्रह किया है।

    देशवासियों के मन-मस्तिष्क पवित्र स्थान रखती हैं वैदिक नदियां

    वर्तमान में जम्मू और कश्मीर से बहने वाली नदियों के लिए वैदिक नामों की बहाली पर विशेष जोर देते हुए पत्र में लिखा कि चिनाब के लिए ''असिक्नी'', झेलम के लिए ''वितस्ता'', रावी के लिए ''परुष्णी'' और सिंधु के लिए ''सिन्धु।यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि वैदिक नदियां देशवासियों के मन-मस्तिष्क में एक पवित्र स्थान रखती हैं, जो जीवन, संस्कृतियों और सभ्यताओं को बनाए रखने वाली जीवन रेखा के रूप में कार्य करती हैं।

    उनके वैदिक नाम सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति के साथ आध्यात्मिक संबंध का सार दर्शाते हैं। वैदिक नामों के उच्चारण मात्र से व्यक्ति और समाज में पवित्रता, गौरव और सम्मान की भावना जागृत होती है।

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