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    चमोली के गुप्तखाल ट्रैक पार करने पर इंडिया बुक आफ रिकार्ड में मिली जगह, 5830 मीटर ऊंचा यह ट्रैक

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 27 Jun 2021 11:11 AM (IST)

    पांडुकेश्वर (चमोली) निवासी माउंटेन ट्रैक्स बदरीनाथ के सीईओ राहुल मेहता को दुर्गम गुप्तखाल ट्रैक पार करने के लिए इंडिया बुक आफ रिकार्ड में स्थान मिला है। इसके लिए उन्हें डाक के माध्यम से प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हो चुका है।

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    चमोली के गुप्तखाल ट्रैक पार करने पर इंडिया बुक आफ रिकार्ड में मिली जगह।

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर(चमोली)। उत्तराखंड के चमोली जिले के पांडुकेश्वर निवासी निवासी माउंटेन ट्रैक्स बदरीनाथ के सीईओ राहुल मेहता को दुर्गम गुप्तखाल ट्रैक पार करने के लिए इंडिया बुक आफ रिकार्ड में स्थान मिला है। इसके लिए उन्हें डाक के माध्यम से प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हो चुका है। चमोली जिले में समुद्रतल से 5830 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह ट्रैक उत्तराखंड के सबसे दुर्गम ट्रैक में शामिल है। इस ट्रैक को 'सीक्रेट पास' के नाम से भी जाना जाता है।

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    अक्टूबर 2020 में बिना गाइड की मदद के राहुल मेहता ने उत्तरकाशी निवासी गंगा राणा रांसी-ऊखीमठ (रुद्रप्रयाग) निवासी मुकेश नेगी के साथ दस दिन में इस दुर्गम ट्रैक को पार किया था। राहुल मेहता ने बताया कि सात अक्टूबर को उन्होंने नीती घाटी के गमशाली गांव से ट्रैकिंग शुरू की थी। 17 अक्टूबर को वे देश के अंतिम गांव माणा होते हुए बदरीनाथ पहुंचे।

    उन्होंने बताया कि यह ट्रैक बेहद ही खतरनाक, चुनौतीपूर्ण और रोमांच से भरा हुआ है। वर्ष 1933 में पहली बार एक अंग्रेज दल ने फ्रेंक स्मिथ के नेतृत्व में इस ट्रैक को सफलतापूर्वक पार किया था। बीते 88 साल में सिर्फ चार दल ही इस ट्रैक को पार कर पाए हैं। इनमें यह तीसरा भारतीय दल था, जो यहां तक पहुंचने में सफल रहा है।

    इस ट्रैक को पार करने में लगते हैं करीब 10 से 11 दिन

    फूलों की घाटी, टिपरा, भ्यूंडार खाल, रतवन बेस और बाणकुंड से होकर गुजरने वाले रहस्यमयी गुप्तखाल पास को पार कर मूसापानी माणा पहुंचा जाता है। यह करीब सौ किमी का एडवेंचर ट्रैक है, जिस पार करने में करीब 10 से 11 दिन का समय लगता है।

     

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