हर दो सप्ताह में अपना रंग भी बदलती है फूलों की घाटी, जानिए इसके बारे में
चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। खास बात यह है कि फूलों की घाटी हर दो सप्ताह में अपना रंग भी बदलती है।

संवाद सूत्र, जोशीमठ (चमोली)। चमोली जिले में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। यह फूलों की घाटी 87.50 वर्ग फुट में फैली है। घाटी की खोज वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। वर्ष 1937 में फ्रैंकस्मित ने वैली आफ फ्लावर नामक पुस्तक लिखकर अपने अनुभवों को दुनिया के सामने रखा। वर्ष 2005 में फूलों की घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त हुआ। फूलों की घाटी जुलाई से सितंबर माह तक गुलजार रहती है। खास बात यह है कि फूलों की घाटी हर दो सप्ताह में अपना रंग भी बदलती है। कभी लाल तो कभी पीले फूलों के खिलने से घाटी में प्रकृति रंग बदल कर पर्यटकों को आकर्षित करती है।
फूलों की घाटी को है पर्यटकों का इंतजार
विश्व धरोहर फूलों की घाटी को भी पर्यटकों का इंतजार है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क भी सरकार की नई एसओपी के इंतजार में है। पार्क के डीएफओ नंदाबल्लभ शर्मा ने बताया कि सरकार की एसओपी जारी होने के बाद फूलों की घाटी में पर्यटकों की आवाजाही शुरू कराई जा सकती है।
लगातार दो सालों तक कोराना संक्रमण के चलते विश्व धरोहर फूलों की घाटी में भी पर्यटकों की आवाजाही ना के बराबर हुई। इस साल तो अभी तक यहां पर्यटक आए ही नहीं। अब जबकि चारधाम यात्रा शुरू कराने के लिए सरकार तैयार है। ऐसे में विश्व धरोहर फूलों की घाटी में भी पर्यटकों की आवाजाही को लेकर पर्यटन व्यवसायी नजरें लगाए हुए हैं। हालांकि वन महकमा एक जुलाई से प्रस्तावित जनपदवार चारधाम यात्रा की तर्ज और कोविड गाइडलाइन के अनुसार फूलों की घाटी को खोलने का मन बना रहा है। पहले ही देशभर में जू व पार्क खोलने की अनुमति मिल चुकी है। इसे देखते हुए अब उत्तराखंड में जू व पार्क खोलने के आसार बढ़ गए हैं।
एसओपी के बाद ही खोली जा सकती है घाटी
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ नंदाबल्लभ शर्मा के अनुसार 29 जून को सरकार द्वारा जारी नई एसओपी के बाद ही पर्यटकों के लिए घाटी को खोला जा सकेगा। उन्होंने जानकारी दी कि पार्क प्रशासन की ओर से फूलों की घाटी के अंदर मार्गों की मरम्मत के साथ ही क्षतिग्रस्त हुई पुलिया आदि की मरम्मत की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की ओर से फूलों की घाटी के अंदर सभी व्यवस्थाएं दुरस्त कर ली गई है।
पिछले वर्ष 942 पर्यटकों ने किया घाटी का दीदार
बताते चलें कि विगत वर्ष कोविडकाल के कारण15 अगस्त को फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोल दी गई थी। तब 942 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया था। पर्यटन व्यवसायी भी चाहते हैं कि चारधामों की यात्रा की शुरुआत के साथ ही फूलों की घाटी को भी खोला जाए।
कैसे पहुंचे फूलों की घाटी तक
फूलों की घाटी की यात्रा ऋषिकेश से 271 किमी बदरीनाथ हाईवे पर गोविंदघाट पहुंचकर शुरू होती है। पर्यटकों को घाटी के बेस कैंप घांघरिया तक 14 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। घांघरिया से फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पार्क से अनुमति शुल्क जमा कर जाया जाता है। फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए दोपहर तक ही पर्यटकों के लिए इजाजत होती है। फूलों की घाटी में गए पर्यटक को दोपहर बाद बैस कैंप घांघरिया वापस आना आवश्यक है।
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