गैरसैंण विधानसभा सत्र में सत्तापक्ष के उत्साह पर पड़ी ठंड की मार
मौसम की मार और भराड़ीसैंण और इर्द-गिर्द की पहाड़ियों पर बर्फ की चादर बिछने के बाद सर्दी का असर सत्तापक्ष पर पड़ा। भाजपा के ज्यादातर विधायक सदन में गैरमौजूद रहे।
गैरसैंण, राज्य ब्यूरो। गैरसैंण में विधानसभा सत्र के चौथे दिन माहौल पूरी तरह से बदला हुआ नजर आया। मौसम की मार और भराड़ीसैंण और इर्द-गिर्द की पहाड़ियों पर बर्फ की चादर बिछने के बाद सर्दी का सबसे ज्यादा असर सत्तापक्ष पर पड़ा। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद बीते दो दिन से सियासी माहौल गर्माए रखने वाले भाजपा के ज्यादातर विधायक शुक्रवार को सदन में गैरमौजूद रहे। सुबह प्रश्नकाल तक सिर्फ चार मंत्री सदन में थे, भोजनावकाश के बाद एकमात्र संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने ही सरकार की ओर से मोर्चा संभाला। अलबत्ता बेहद सर्द माहौल में भी विपक्ष पूरी तरह मुस्तैद रहा। सुबह प्रश्नकाल से शाम राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा खत्म होने तक कांग्रेस विधायकों ने सरकार को घेरने में कसर नहीं छोड़ी।
भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में शुक्रवार को मौसम ने तेजी से करवट बदली। तीन दिन तक खुशगवार मौसम के बीच चली विधानसभा की कार्यवाही चौथे दिन मौसम की दुश्वारियों से दो-चार हुई। बुधवार शाम गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद से ही सदन के बाहर और भीतर भी सियासी पारा चढ़ा हुआ था। चौथे दिन मौसम के तेवर तल्ख होते ही सत्तापक्ष के विधायकों के तेवर ढीले पड़ गए।
सुबह 11 बजे प्रश्नकाल शुरू होने पर सत्तापक्ष के सिर्फ 11 विधायक सदन में मौजूद थे। नेता सदन व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ङ्क्षसह रावत का पहले से ही देहरादून जाने का कार्यक्रम तय था, लेकिन मंत्रियों ने भी सदन से दूरी बनाए रखी। हालांकि यह सिलसिला बीते रोज गुरुवार से ही शुरू हो गया था। कुछ मंत्री गैरसैंण से रवाना हो गए थे। शुक्रवार सुबह सदन में सिर्फ संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, परिवहन व समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन ङ्क्षसह रावत ही उपस्थित थे। यह कहा जा सकता है कि सदन के चौथे दिन की कार्यवाही विपक्ष की बदौलत गुलजार रही। कांग्रेस ने पूरे दिन सदन को गर्माए रखा। कांग्रेस के सभी 11 विधायकों ने पूरे समय सदन में अपनी मौजूदगी बनाए रखी।
डॉ. इंदिरा हृदयेश (नेता प्रतिपक्ष) का कहना है कि सदन को चलाना सत्तापक्ष की जिम्मेदारी होती है। इसमें मंत्रियों व विधायकों की पूरी उपस्थिति होनी चाहिए। कोरम पूरा होने के लिए 10 विधायक उपस्थित होने चाहिए। शुक्रवार को कोरम विपक्ष के कारण पूरा हुआ।
प्रेमचंद अग्रवाल (विधानसभा अध्यक्ष) का कहना है कि मंत्रियों व विधायकों की कम उपस्थिति चिंता का विषय है। उनकी जिम्मेदारी है कि वह अपने सदन को भली भांति चलाएं। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस संबंध में नेता सदन व नेता प्रतिपक्ष से भी बात की गई है।
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