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उत्‍तराखंड: भूस्खलन से वेदनी कुंड में रिसाव बढ़ा

भूस्खलन से वेदनी बुग्याल स्थित कुंड को काफी नुकसान पहुंचा है। कुंड की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और पानी रिसने से इसका जलस्तर लगातार घटता जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 29 Oct 2017 08:23 AM (IST)Updated: Sun, 29 Oct 2017 09:03 PM (IST)
उत्‍तराखंड: भूस्खलन से वेदनी कुंड में रिसाव बढ़ा
उत्‍तराखंड: भूस्खलन से वेदनी कुंड में रिसाव बढ़ा

चमोली, [जेएनएन]: सीमांत चमोली जिले में ऐतिहासिक नंदा देवी राजजात के प्रमुख पड़ाव वेदनी बुग्याल स्थित कुंड का अस्तित्व खतरे में है। वर्षाकाल के दौरान हुए भूस्खलन से कुंड को काफी नुकसान पहुंचा है। कुंड की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और पानी रिसने से इसका जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। हैरत देखिए कि वन विभाग की ओर से भूस्खलन रोकने के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किए गए। विभाग का कहना है कि नुकसान का आगणन तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है। लेकिन, इस पर अमल क्या हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

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नंदा देवी व त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के बीच वाण गांव से 13 किमी की दूरी पर स्थित वेदनी बुग्याल (मखमली घास का मैदान) समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसी बुग्याल के बीच 15 मीटर व्यास में फैला है खूबसूरत वेदनी कुंड। इसी कुंड में 12 साल बाद आयोजित होने वाली ऐतिहासिक श्री नंदा देवी राजजात की प्रथम पूजा होती है। लेकिन, भूस्खलन के चलते बीते दो वर्ष से कुंड का पानी लगातार रिसने से इसका आकार सिकुड़ता जा रहा है। बीती बरसात क्षेत्र के लोगों ने इसकी सूचना वन व पर्यटन विभाग को भी दी थी, लेकिन अब तक इसके रखरखाव को कोई सार्थक पहल नहीं हुई।

अब लाटू मंदिर समिति वाण की संयोजक कृष्णा बिष्ट, ग्राम प्रधान खीमराम व हीरा पहाड़ी ने भी बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ को पत्र भेजा है। इसमें उल्लेख है कि कुंड के चारों ओर वर्षाकाल के दौरान भूस्खलन होने से कुंड लगातार रिस रहा है। जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कुंड अपना अस्तित्व खो बैठेगा। उधर, वन क्षेत्राधिकारी देवाल त्रिलोक सिंह बिष्ट ने भी माना कि वेदनी कुंड के लिए भूस्खलन खतरा बना हुआ है। इसे रोकने के लिए 50 लाख आगणन डीएफओ बदरीनाथ को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही सुरक्षा कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।

सैलानियों की सैरगाह है वेदनी बुग्याल

देश-दुनिया के हजारों सैलानी हर साल हिमालय का सौंदर्य निहारने के लिए वेदनी बुग्याल पहुंचते हैं। इसके अलावा हर साल कुरुड़ से निकलने वाली नंदा देवी लोकजात का भी यहां समापन होता है। इस दौरान यहां आयोजित मेले में हजारों श्रद्धालु व सैलानी जुटते हैं। इससे वन विभाग को भी अच्छा-खासा राजस्व मिलता है।

बुग्याली जैव विविधता भी खतरे में

पर्यावरण प्रेमी दयाल सिंह पटवाल कहते हैं कि वेदनी कुंड का जलस्तर घटने से बुग्याली क्षेत्र की जैव विविधता भी प्रभावित होगी। उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि कुंड के संरक्षण और बुग्याल में भूस्खलन रोकने के तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाएं।

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