फिर धंसने लगा Joshimath! रविग्राम में हुआ गड्ढा, गांधीनगर में गिरी दीवार
Joshimath Sinking जोशीमठ में एक बार फिर भूधंसाव से लोग दहशत में हैं। रविग्राम में एक बड़ा गड्ढा बन गया है और गांधीनगर में एक दीवार गिर गई है। भूस्खलन से कई घरों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने मौके का निरीक्षण किया है और राहत कार्य शुरू कर दिया है। बता दें कि आपदा के दौरान भी इस क्षेत्र में ऐसे ही गड्ढे हुए थे।

संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर । Joshimath Sinking: भूधंसाव प्रभावित ज्योतिर्मठ में एक बार फिर गड्ढा बनने व रास्ता भूस्खलन की चपेट में आने से लोगों में दहशत है। स्थानीय नागरिकों की सूचना के बाद तहसील प्रशासन ने मौके का निरीक्षण किया।
गड्ढे में समा रहा था वर्षा का पानी
ज्योतिर्मठ नगर के रविग्राम में चंडिका मंदिर के पीछे खेत में एक गड्ढा बन गया। इसकी गहराई दस फिट से अधिक नापी गई। बताया गया कि इस गड्ढे में वर्षा का पानी समा रहा था। सूचना के बाद स्थानीय नागरिकों ने मौके पर पहुंचकर तत्काल इसकी सूचना तहसील प्रशासन की दी। आपदा के दौरान भी इस क्षेत्र में ऐसे ही गड्ढे हुए थे।
समतल भूमि में गहरा गड्ढा होने से लोगों में दहशत
क्षेत्र के सभासद प्रवेश डिमरी ने बताया कि अचानक समतल भूमि में गहरा गड्ढा होने से आसपास रह रहे लोगों में दहशत है। लोग भूधंसाव के खतरे को लेकर सहमे हुए हैं।
जागरण आर्काइव।
दीवार टूटने से पांच से अधिक घरों में घुसा मलबा
दूसरी ओर बीती रात गांधीनगर में दीवार टूटने से पांच से अधिक घरों में मलबा घुस गया। वर्षा के दौरान भूधंसाव बढ़ने से आसपास के लोग दहशत में हैं।
गांधीनगर में वर्षा के दौरान भूधंसाव के बढ़ने के साथ दरारें आने से स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी। भूस्खलन से चार से अधिक घरों में मलबा घुसने के साथ दो घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है।
राजस्व विभाग से मांगी गई रिपोर्ट
ज्योतिर्मठ में पुस्ता टूटने व रविग्राम में गड्ढा होने की सूचना पर राजस्व विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। तदनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी। - नंद किशोर जोशी, आपदा प्रबंधन अधिकारी, चमोली
विज्ञानियों की राय में जोशीमठ आपदा के प्रमुख कारण
- पुराने भूस्खलन क्षेत्र में मलबे के ढेर (लूज मटीरियल) पर बसा होना
- ड्रेनेज की व्यवस्था न होने के कारण जमीन के भीतर पानी का रिसाव
- शहर व आसपास के क्षेत्रों में नालों का चैनलाइजेशन व सुदृढ़ीकरण न होना
- अलकनंदा नदी से हो रहे कटाव की रोकथाम के लिए कदम न उठाना
- धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित न किया जाना
- 47 साल पहले चेताने के बाद भी विज्ञानियों के सुझावों पर अमल न करना
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।