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    Joshimath Sinking: आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली पर आईं दरारें, 50 से अधिक लोगों ने छोड़े भवन

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 01 Jan 2023 11:20 AM (IST)

    Joshimath Sinking आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतेश्वर महादेव के गर्भगृह में दरारें आ गई हैं। भूधंसाव के चलते प्रभावित परेशान हैं। उन्हें नए ठिकाने की तलाश में परेशान होना पड़ रहा है। अभी तक 580 से अधिक भवन भूमि में दरारें चिह्नित की गई है।

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    Joshimath Sinking: जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव की आंच अब पौराणिक धर्मस्थल ज्योतिर्मठ में भी पहुंच चुकी है।

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर(चमोली): Joshimath Sinking: जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव की आंच अब पौराणिक धर्मस्थल ज्योतिर्मठ में भी पहुंच चुकी है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतेश्वर महादेव के गर्भगृह में दरारें आ गई हैं।

    यह वह स्थान है, जिस अमर कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शंकर के 11 वें अवतार आदि गुरु शंकराचार्य ने कठोर तप किया था और दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। भूधंसाव के चलते प्रभावित परेशान हैं। उन्हें नए ठिकाने की तलाश में परेशान होना पड़ रहा है।

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    जोशीमठ में भूधंसाव हो रहा है, जबकि शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। अभी तक 580 से अधिक भवन, भूमि में दरारें चिह्नित की गई है। 50 से अधिक किरायेदार दरार वाले भवनों को छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर जा चुके हैं, लेकिन दरारों का दायरा बढ़ने से जोशीमठ नगरवासी चिंतित हैं।

    सबसे ज्यादा दिक्कत भवन स्वामियों की है। 20 से अधिक भवन स्वामी ऐसे हैं, जो अपना जरूरी सामान अन्य स्थानों में ले जा चुके हैं। ज्योतिर्मठ के ज्योतेश्वर महादेव के पुजारी महिमानंद उनियाल ने कहा कि पहले ये दरारें हल्की थीं, लेकिन अब लगातार बढ़ रही हैं। इससे अब मंदिर गर्भगृह, आंगन आदि को खतरा पैदा हो गया है।

    रेल सुरंग निर्माण के दौरान विस्फोटकों से भवनों में दरारें

    बहुप्रतिक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के अंतिम स्टेशन पोखरी विकासखंड के सिवाई में निर्माणाधीन सुरंग निर्माण के चलते उससे लगे लादला व लंगाली में आवासीय भवनों पर दरारें आ रही हैं। रेल संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन एवं रेल विकास निगम के अधिकारियों को प्रेषित कर आवासीय भवनों और प्राकृतिक जलस्रोतों को हुए नुकसान का आंकलन करने की मांग की है।

    रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि पूर्व में सुरंग निर्माण में भारी विस्फोटकों के प्रयोग से बीती बरसात में दरारें आने से सिवाई मोटर मार्ग भूस्खलन की जद में आ गया था, लेकिन उसके बाद भी रेल विकास निगम के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।

    रात-दिन हो रहे सुरंग निर्माण के दौरान भारी विस्फोटकों के प्रयोग से स्थानीय निवासियों के भवनों को नुकसान पहुंच रहा है। कई भवनों में दरारें उभर आई हैं, जबकि बरामदे सहित अन्य निर्माण को नुकसान पहुंच रहा है। यही नहीं, गांव के पुराने जलस्रोत से पानी गायब हो गया है, जो गांव के लिए ग्रीष्मकाल में पानी का वैकल्पिक स्रोत हुआ करता था।

    ग्रामीण मातवर सिंह, नंदन सिंह और दिलवर सिंह ने कहा एक ओर रेलवे निर्माण से विकास की बात कही जा रही है, वहीं जो बसासत परिवार गांव में शेष है, उनकी समस्याओें को दरकिनार कर अब जैवविविधता को भी प्रभावित किया जा रहा है, जिसके परिणाम भविष्य में ठीक नहीं होंगे। पत्र के माध्यम से कहा गया कि यदि शीघ्र भारी विस्फोटकों का प्रयोग बंद कर नुकसान का आंकलन नहीं किया गया तो समिति आंदोलन करने को मजबूर होगी।