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    उत्तराखंड के इस वीर ने पाक के आयुध गोदाम को किया था तबाह, 32 गोलियों से छलनी सीना लेकर लौटा था कैंप

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 04:57 PM (IST)

    उत्तराखंड के गोपेश्वर में अमर बलिदानी महावीर चक्र विजेता अनुसूया प्रसाद गौड़ की याद में दो दिवसीय विजयी महोत्सव मनाया गया। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद् ...और पढ़ें

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    अमर वलिदानी महावीर चक्र विजेता अनुसूया प्रसाद गौड. File Photo

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। अमर वलिदानी महावीर चक्र विजेता अनुसूया प्रसाद गौड की याद में नंदानगर के विश्व प्रशिद्ध धार्मिक स्थल बैरासकुंड में दो दिवसीय विजयी महोत्सव का आयोजन किया गया । इस अवसर पर स्थानीय लोगों को बलिदानी अनुसूया प्रसाद गौड के शौर्य से अवगत कराते हुए प्रति वर्ष मेले के आयोजन का निर्णय लिया गया।

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    नंदानगर के ग्राम नौना के रहने वाले अमर बलिदानी अनुसूया प्रसाद गौड ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में शौर्य का परियच देते 30 नवंबर 1971 को चितलापुर चायबनाग पूर्वी पाकिस्तान अब बग्लादेश में पाकिस्तानी बारूद गोदाम को आत्मघाती हमले से निस्तानाबूत कर दिया था। खुद पर 32 गोलियां लगने के बाद भी बलिदानी अनुसूया प्रसाद अपने कैंप पर लौट कर वीरगति को प्राप्त हुए थे। सरकार ने मरणोउपरांत उन्हें 1972 को महावीर चक्र से नवाजा था।

    इस वीर सैनिक की बहादूरी पर लोगों ने सिद्धपीठ शिव धाम बैरासकुंड में मेले का आयोजन कर इसे विजय महोत्सव का नाम दिया गया। कार्यक्रम में पहुंचे थराली के विधायक भोपाल राम टम्टा ने कहा कि बलिदानी अनुसूया प्रसाद गौड की बहादुरी प्रेरित करती है। कहा कि देश को अपना जीवन देने वाले इस बलिदानी के शरादत को याद करने के लिए मेले का आयोजन अच्छी पहल है।

    कहा कि इस मेले को बड़ा स्वरूप देने के साथ राजकीय मेला घोषित किए जाने के लिए वे सरकार से बात करेंगे। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष दौलत सिंह बिष्ट का कहना है कि उतराखंड बलिदानियों की भूमि है। लेकिन जिस प्रकार का साहस भरा कार्य अनुसूया प्रसाद गौड ने किया वह अतुलनीय है। उन्होंने विजय महोत्सव को भब्य रूप देने के लिए हर संभव सहयोग देने का वादा किया ।

    कार्यक्रम में स्थानीय स्कूली छात्र छात्राओं के साथ महिला मंगल दलों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए । महोत्सव के दौरान यहां पर विभागीय स्टाल भी लगाए गए । जिसमें सरकार की उपलब्धियों से भी लोगों को रूबरू कराया गया । तथा जन उपयोगी कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में बलिदानी अनुसूया प्रसाद गौड के स्वजनों के साथ क्षेत्र की अन्य वीर नारियों व भूतपूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर महावीर चक्र विजेता अनुसूया प्रसाद गौड विजय महोत्सव समिति के अध्यक्ष दिनेश चंद्र गौड ,हरीश चद्र गौड , प्रभात पुरोहित , उमेश कठैत , कर्ण सिंह बिष्ट , उमेश राणा, अनिल गौड , मथुरा प्रसाद गौड , हरि प्रसाद नौटियाल , सहित कई लोग शामिल थे।

    नहीं आ पाए थे शादी में घर, घड़े से हुआ था कुंभ विवाह

    महावीर चक्र विजेता अनुसूया प्रसाद गौड सबसे कम उम्र सेवा में देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले बलिदानियों में शामिल हैं। बताया गया कि 10 महार रेजीमेंट में 11 दिन की सेवा में ही उन्होंनें देश की सुरक्षा के लिए इतना बड़ा कार्य कर बलिदान दिया था। अनुसूया प्रसाद गौड की शादी भी घर वालों ने प्रस्तावित की थी। लेकिन इस दौरान उन्हें युद्ध के चलते अवकाश न मिलने के चलते उनकी शादी कुंभ विवाह की रीति से हुई थी। बलिदानी के गांव के ही भाई दिनेश चद्र गौड बताते हैं कि कुंभ विवाह में दुल्लन के साथ घड़े से शादी की जाती है। इस यहां की धार्मिक परंपरा थी।

    बताया गया कि गुरूडृ गांव के गौड पुजारी की पुत्री चित्रा से अनुसूया प्रसाद गौड की शादी हुई थी। तब गांव से बारात लेकर 16 किमी दूर कुरूड़ गांव गए थे। लेकिन सेना में बलिदान होने के बाद वे दुल्हन का मूंह भी नहीं देख पाए थे। बाद में मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित होने के बाद देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब यह सब कुछ सुना तो वह इस वीरांगना के बलिदान से भी प्रभावित हुई। तथा प्रधानमंत्री के अनुरोध पर इस वीरांगना का विवाह अनुसूया प्रसाद गौड के छोटे भाई शिवराम गौड से हुआ।

    स्वजन बताते हैं कि जब इंदिरा गांधी विरांगना से मिली और उनकी दास्ता सुनी तो अपने आंसू नहीं रोक पाई थी। आज उनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं। तथा देहरादून में भाववाला में रहते हैं। तथा अनुसूया प्रसाद गौड का पुत्र राकेश गौड वर्तमान समय में सीआरपीएफ में कोबरा कमांडो है। बताया गया कि बलिदानी के नाम पर क्षेत्र में कुछ भी नहीं होने से लोग आहत भी हैं। अब मेले के आयोजन से लोग उनके बलिदान पर गर्व कर रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनके नाम से जन्म स्थान में माटी को गोरवांवित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय के की स्थापना की जानी चाहिए।

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