कूड़ा बेचकर बदरीनाथ नगर पंचायत मालामाल, इस यात्राकाल में हुई 7.54 लाख की कमाई
बदरीनाथ नगर पंचायत हेलीकॉप्टर से ईको-टूरिज्म शुल्क लेने वाली देश की पहली पंचायत है। आस्था पथ पर कूड़ा इकट्ठा करने के लिए पर्यावरण मित्र तैनात हैं। नगर क्षेत्र से कूड़ा एकत्रित कर मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर भेजा जाता है, जहाँ छंटनी और कॉम्पैक्ट करने का काम होता है। इस प्रक्रिया से नगर पंचायत कूड़ा बेचकर मालामाल हो रही है।

इस यात्राकाल ईको पर्यटन शुल्क व कूड़ा निस्तारण से प्राप्त की एक करोड़ सात लाख 64 हजार रुपये की आय। आर्काइव
उत्तम में सर्वोत्तम : कूड़ा बेचकर मालामाल हो रही बदरीनाथ नगर पंचायत
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- पर्यावरण मित्र निस्तारण कैंप तक पहुंचाते हैं कूड़ा, बिजनौर व सहारनपुर की फैक्ट्रियों को होती है इसकी बिक्री
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देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर। चमोली जिले की ज्योतिर्मठ नगर पालिका परिषद के बाद अब नगर पंचायत बदरीनाथ ने भी धाम में स्वच्छता का माडल विकसित कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। इसके तहत नगर पंचायत को यात्राकाल के दौरान अब तक ईको पर्यटन शुल्क व कूड़ा निस्तारण से एक करोड़ सात लाख 64 हजार रुपये की आय हो चुकी है। कूड़े को रिसाइकिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के बिजनौर व सहारनपुर की फैक्ट्रियों को बेचा जाता है।
बदरीनाथ धाम में हर वर्ष छह माह यात्रा का संचालन होता है। इस अवधि में देश-विदेश से लाखों यात्री भगवान बदरी विशाल के दर्शन को पहुंचते हैं, जो वहां प्लास्टिक कचरा भी छोड़ जाते हैं। ऐसे में नगर पंचायत के लिए कूड़ा प्रबंधन किसी चुनौती से कम नहीं था। सो, नगर पंचायत की ओर से कूड़ा इकट्ठा करने व उसके निस्तारण के लिए वर्ष 2021 में कार्ययोजना तैयार की गई। इसके तहत बदरीनाथ धाम आने वाले यात्री वाहनों से ईको शुल्क लेने की शुरुआत हुई। साथ ही नगर क्षेत्र में कूड़ादान और कूड़ा एकत्र करने वाले वाहनों की संख्या बढ़ाई गई। इस कूड़े को पर्यावरण मित्रों की सहायता से निस्तारण कैंप में पहुंचाया जाता है।
वर्तमान में कूड़ा निस्तारण कैंप में दो प्लास्टिक काम्पेक्टर व एक आर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर के जरिये कूड़े को अलग-अलग कर इसका निस्तारण किया जाता है। प्लास्टिक कचरे की जहां बिक्री की जा रही है, वहीं जैविक कूड़े से खाद तैयार कर उसे बदरीनाथ धाम में ही तुलसी वन व आसपास के पेड़-पौधे वाले क्षेत्रों में डाला जा रहा है। कंपोस्टिंग के लिए 12 पिट बनाए गए हैं। जैविक-अजैविक कचरे को छांटने और कंपोस्टिंग के लिए 15 कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं।
ईको पर्यटन शुल्क से एक करोड़ 10 हजार की आय
नगर पंचायत की ओर से पहले कर्मचारियों के माध्यम से ईको पर्यटन शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब इसके लिए फास्टैग बैरियर लगाया गया है। नगर पंचायत ईको पर्यटन शुल्क के रूप में हर चौपहिया वाहन को 60 रुपये, टेंपो ट्रैवलर को 100 रुपये और बस से 120 रुपये वसूलती है। इसके अलावा हेलीकाप्टर से प्रति फेरा 1,000 रुपये शुल्क लिया जाता है। चार मई को कपाट खुलने के बाद से अब तक इस मद में एक करोड़ 10 हजार की आय हो चुकी है।
कूड़ा प्रबंधन से 7.54 लाख की कमाई
बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन दो टन जैविक-अजैविक कचरा एकत्रित होता है। इस यात्राकाल में 114 टन कचरा एकत्र हो चुका है। पहले मंदिर में सफाई की व्यवस्था का जिम्मा बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पास था। दो वर्ष से नगर पंचायत यह कार्य कर रही है। मंदिर व आसपास की सफाई के लिए उसने 22 पर्यावरण मित्र तैनात किए हैं। मंदिर समिति सफाई के एवज में 39 लाख की राशि का नगर पंचायत को देती है। कूड़ा प्रबंधन से नगर पंचायत ने अब तक 7.54 लाख रुपये कमाये हैं।
माणा की सफाई का जिम्मा भी
नगर पंचायत देश के प्रथम गांव माणा आने वाले वाहनों से भी पार्किंग शुल्क वसूलती है और इसमें से 30 प्रतिशत राशि का भुगतान ग्राम पंचायत माणा को किया जाता है। शेष 70 प्रतिशत राशि सफाई कार्यों में खर्च होती है। माणा में नगर पंचायत ने 15 सफाई कर्मचारी लगाए हैं।
ज्योतिर्मठ नगर पालिका की सालाना कमाई 15 लाख
ज्योतिर्मठ नगर पालिका वर्ष 2011 से कूड़ा बेचकर कमाई कर रही है। वर्तमान में पालिका ईको पर्यटन शुल्क और कूड़ा निस्तारण से प्रतिवर्ष 15 लाख रुपये कमाती है। पालिका की ओर नगर में दो कांपैक्ट मशीन लगाई हैं। यहां सफाई व्यवस्था का जिम्मा 76 पर्यावरण मित्र संभाल रहे हैं।
बदरीनाथ नगर पंचायत देश में ऐसी पहली पंचायत है, जो हेलीकाप्टर से भी ईको पर्यटन शुल्क लेती है। धाम में आस्था पथ पर कूड़ा एकत्रित करने के लिए दिनभर पर्यावरण मित्र तैनात रहते हैं। नगर क्षेत्र में सुबह, दोपहर व शाम को कूडा एकत्रित कर उसे मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर भेजा जाता है। वहां उसकी छंटनी के साथ काम्पेक्ट करने का कार्य होता है।
- सुनील पुरोहित, अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत बदरीनाथ

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