Badrinath Dham Door Open: बदरीनाथ धाम के कपाट खुले, सीएम पुष्कर धामी पहुंचे, अंखड ज्योति के दर्शन
Badrinath Dham बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के बाद आज श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। उद्धव जी कुबेर जी और शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ देवभारा यात्रा शनिवार को धाम पहुंची। रावल अमरनाथ नंबूदरी ने पूजा-अर्चना की। गढ़वाल स्काउट की धुनों और जयकारों के साथ कपाट खुल गए। सीएम ने यहां पूजाा की। बद्री विशाल को शीतकाल में ओढ़ाई घृत कंबल का प्रसाद बांटा गया।
संवाद सूत्र, जागरण, बदरीनाथ। Badrinath Dham: आज सुबह छह बजे बदरीनाथ धाम के कपाट छह माह ग्रीष्मकाल के लिए देश दुनिया के श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खुल गए। बद्रीनाथ धामके कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी श्री बदरीनाथ धाम में दर्शन के लिए पहुंचे।
शनिवार को शीतकाल में छह माह कपाट बंदी के दौरान पांडुकेश्वर योगध्यान बद्री मंदिर में स्थित भगवान बदरी विशाल के बदरीश पंचायत के मुख्य देवता उद्धव जी व कुबेर जी, गरुड़ उत्सव डोली, शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ देवभारा यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंची।
सीएम धामी श्रीबदरीनाथ में दर्शन के लिए पहुंचे।
हनुमान चट्टी में हनुमान जी की पूजा अर्चना
शनिवार सुबह योगध्यान ब्रदी मंदिर में रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा पूजा अर्चना के बाद विधि विधान के साथ देवभारा यात्रा सुबह 10 बजे पांडुकेश्वर शीतकालीन स्थल से बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई। देवभारा यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंचने से पूर्व रावल अमरनाथ नंबूदरी द्वारा हनुमान चट्टी में हनुमान जी की पूजा अर्चना की।
देवदर्शनी से देवभारा यात्रा बदरीनाथ मंदिर के लिए बामणी गांव पहुंची। रावल अमरनाथ नंबदूरी ने भगवान नारायण की जन्मस्थली लीलाढुंंगी में पौराणिक विधि विधानों के अनुसार पूजा अर्चना के उपरांत देवभारा यात्रा पुराने बाजार से होते हुए बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार पर पहुंची।
मंदिर परिसर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के जयकारे के साथ देवभारा यात्रा का स्वागत किया। जिससे पूरी बद्रीश पुरी नारायण के जयकारों से गुंजायमान किया।
अंखड ज्योति के भी दर्शन
इस दौरान गढ़वाल स्काउट के जवानों द्वारा बैंडों ने 'जय बदरी ,जय केदार' की मुधर मय धुनों के साथ बदरीशुपरी को भक्ति के रंग में रंग दिया। सिंहद्वार पर माथा टेकने के बाद उद्धव जी को रावल बदरीनाथ के निवास स्थित पूजा स्थल में रखा गया। जबकि देवताओं के खंजाची कुबेर जी को रात्रि विश्राम के लिए बामणी गांव मां नंदा देवी के मंदिर में विराजित किया गया।
रविवार सुबह ठीक छह बजे भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनाथ के लिए खोल दिए जाने के साथ ही अंखड ज्योति के दर्शन श्रद्धालुओं को दर्शन मिलने लगे। बड़ी संख्या में दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं।
ये होती है परंपरा
गर्भगृह में जैसे ही रावल जी प्रवेश कराया जाता है, उसके बाद गर्भगृह में नारायण के साथ शीतकाल में निवास कर रही मां महालक्ष्मी को रावल द्वारा परिक्रमा स्थित महालक्ष्मी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ यथा स्थान विराजमान किया जाता है। इसके साथ् उद्धव जी व कुबेर गली से कुबेर जी को हकहकूकधारियों द्वारा मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जाता है।
यहां रावल द्वारा उद्धव जी एवं कुबेर जी को बदरीश पंचायत में उनके स्थानों पर विराजित करने के बाद इस साल की सबसे प्रथम पूजा अभिषेक एवं महाभिषेक पूजाएं प्रारंभ की जाती है। कपाट खुलने पर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को भगवान बद्री विशाल को शीतकाल में ओढ़ाई गई घृत कंबल को निकालकर श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता है। जिसके बाद भगवान का श्रृंगार स्वर्ण आभूषणों के साथ किया जाता है।
ये था कार्यक्रम
- सुबह चार बजे मंदिर समिति अधिकारी कर्मचारी मंदिर परिक्रमा में उपस्थित हुए
- सुबह साढ़े चार बजे श्री कुबेर जी दक्षिण द्वार से मंदिर परिक्रमा में प्रवेश कराया
- पांच बजे सुबह विशिष्ट अतिथि गण तथा रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी, हक-हकूकधारी, डिमरी पंचायत प्रतिनिधि मंदिर परिक्रमा में पहुंचे।
- सुबह साढ़े पांच बजे से द्वार पूजन शुरू हुआ
- सुबह ठीक छह बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट दर्शनार्थ के लिए खोल दिए गए।
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