उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर भी हैं बाबा बर्फानी, पूर्ण आकार ले चुका बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग
उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर स्थित देश के अंतिम गांव नीती के टिम्मरसैंण में छह फीट ऊंचा बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग पूर्ण आकार ले चुका है।
गोपेश्वर (चमोली), हरीश बिष्ट। चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर स्थित देश के अंतिम गांव नीती के टिम्मरसैंण में छह फीट ऊंचा बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग पूर्ण आकार ले चुका है। हालांकि, लॉकडाउन के चलते इस बार पर्यटक व श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। लेकिन, स्थानीय लोग लगातार टिम्मरसैंण पहुंचकर बाबा बर्फानी के दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
टिम्मरसैंण स्थित प्राकृतिक गुफा में हर साल 15 मार्च के बाद बर्फ के दर्जनों शिवलिंग आकार लेने लगते हैं। अप्रैल के आखिर तक मौसम में गर्माहट आने से इनकी संख्या दो या तीन रह जाती है। इस वर्ष पहाड़ में जमकर बर्फबारी हुई है, इसलिए इन दिनों भी गुफा में तीन शिवलिंग मौजूद हैं। इनमें से मुख्य शिवलिंग पूर्ण आकार में है। बर्फ के इस शिवलिंग की खासियत यह है कि कई स्थानों पर इसमें नीली आभा नजर आती हैं। नीती गांव के प्रेम सिंह फोनिया बताते हैं कि सीमांत गांवों के लोग अपने ग्रीष्मकालीन प्रवासों में लौट आए हैं। वही इन दिनों बाबा बर्फानी के दर्शनों को पहुंच रहे हैं।
लॉकडाउन ने रोकी यात्रा की राह
नीती घाटी के ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर समिति गठित कर बीते वर्ष टिम्मरसैंण महादेव के लिए यात्रा शुरू कराई थी। तब यहां पर देशी-विदेशी श्रद्धालु भी पहुंचे थे। इस वर्ष नीती तक हाइवे पूरी तरह से साफ है और टिम्मरसैंण महादेव मंदिर जाने वाला मार्ग भी पूरी तरह से खुला हुआ है। बताया कि मंदिर समिति ने इस साल यात्रा को वृहद रूप देने का निर्णय लिया था, लेकिन लॉकडाउन के चलते सारी योजना धरी-की-धरी रह गई।
बबूक उडियार में आकार लेते हैं बाबा
चमोली जिले के सीमांत ब्लॉक मुख्यालय जोशीमठ से करीब 82 किमी की दूरी पर देश का अंतिम गांव नीती पड़ता है। गांव से एक किमी पहले मुख्य मार्ग से करीब 700 मीटर दूर टिम्मरसैंण नामक स्थान पर एक छोटी-सी गुफा मौजूद है। यहीं हर साल बाबा बर्फानी आकार लेते हैं। स्थानीय लोग इस गुफा को 'बबूक उडियार' नाम से जानते हैं। गुफा में प्रवेश करने से पहले पहाड़ी से गिरने वाली जलधारा से भक्तों का स्वत: स्नान हो जाता है।
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टिम्मरसैंण से जाते थे कैलास-मानसरोवर
चीन सीमा पर तैनात आइटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल) के जवान प्रतिवर्ष बाबा बर्फानी के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। खास बात यह कि टिम्मरसैंण से कैलास-मानसरोवर महज दो दिनों में पहुंचा जा सकता है। पूर्व में यह मार्ग आवाजाही के लिए खुला था, लेकिन वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया।
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