Uttarakhand: बागेश्वर के सुनील सेना में बने लेफ्टिनेंट, नहीं हारी हिम्मत और चौथे अटेम्प्ट में पाया मुकाम
गरुड़ के सिल्ली गांव के सुनील दुबे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। उनके पिता गोकुलानंद दुबे असम राइफल्स से रिटायर्ड हैं। सुनील का वर्ष 2012 में ...और पढ़ें

सफलता की खबर से झूम उठा सिल्ली गांव. Jagran
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: जहां जज्बा मजबूत हो और इरादे बुलंद, वहां सफलता खुद रास्ता बना लेती है। इस कहावत को सच कर दिखाया है गरुड़ के सिल्ली गांव निवासी गोकुलानंद दुबे के सुपुत्र सुनील दुबे ने। सरस्वती शिशु मंदिर गरुड़ के पूर्व छात्र सुनील दुबे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं, जिससे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
सुनील के पिता गोकुलानंद दुबे असम राइफल्स से रिटायर्ड हैं, जबकि माता भगवती दुबे गृहणी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर गरुड़ से हुई, जबकि कक्षा छह से 12 वीं तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कालेज गरुड़ से पूरी की। सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में हमेशा सक्रिय रहने वाले सुनील का वर्ष 2012 में आर्मी मेडिकल कोर में बतौर नर्सिंग असिस्टेंट चयन हुआ था।
सेना में अधिकारी बनने का उनका सपना तीन बार प्रयास के बावजूद पूरा नहीं हुआ, लेकिन चौथी बार में उन्होंने सफलता प्राप्त कर ली। सुनील का कहना है कि लगातार प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, पत्नी, गुरुजनों और दोस्तों को दिया।
उनकी उपलब्धि पर राजकीय इंटर कॉलेज गरुड़ के पूर्व प्रधानाचार्य बी.एस. गोबाड़ी, सरस्वती शिशु मंदिर गरुड़ के पूर्व प्रधानाचार्य गणेश उपाध्याय, पूर्व प्रधानाचार्य सूरज पंत समेत ग्रामीणों ने हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।
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