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    Bageshwar: हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन, स्कूलों में खेल प्रतियोगिता आयोजित कर दी गई श्रद्धांजलि

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandey
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 03:46 PM (IST)

    National Sports Day 2023 भारतीय हाकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन आज है। हर साल पूरे देश में ध्यानचंद के जन्म दिवस 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश के स्कूल और कॉलेजों में खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हे श्रद्धांजलि दी जाती है। बागेश्वर में भी इनके जन्मदिन को धूमधाम के साथ मनाया गया।

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    Bageshwar: हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन

    जागरण संवाददाता, बागेश्वर: National Sports Day 2023: भारतीय हाकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) का जन्मदिन आज है। हर साल पूरे देश में ध्यानचंद के जन्म दिवस, 29 अगस्त को ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश के स्कूल और कॉलेजों में खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हे श्रद्धांजलि दी जाती है।

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    बागेश्वर (Bageshwar) में भी इनके जन्मदिन को धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर जिले के विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया गया।

    हाकी के जादूगर के जन्मदिवस पर खेल प्रतियोगिता का आयोजन

    कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल परिसर पर आयोजित प्रतियोगिता का एनबी भट्ट, शंकर पांडे और प्रधानाचार्य विनोद कुमार पांडे ने संयुक्त रूप से शुभारंभ किया। वालीबाल प्रतियोगिता नाग और पृथ्वी सदन के मध्य खेली गई। इस प्रतियोगता में नाग विजयी रही। दूसरा मैच आकाश और अग्नि सदन के मध्य हुआ और आकाश ने जीत दर्ज की।

    मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर भाषण की प्रस्तुति

    फाइनल मुकाबला आकाश और नाग सदन में हुआ और नाग विजयी रही। रस्सा कस्सी में पृथ्वी प्रथम और आकाश सदन द्वितीय रहा। विद्यालय के छात्र मयंक उपाध्याय ने हाकी के जादूगर ध्यानचंद (Dhyan Chand ) के बारे में भाषण प्रस्तुत किया। कक्षा एक की छात्राओं ने रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के पवित्र पर्व पर भाई-बहन के स्नेह की झलकियां प्रस्तुत की।

    हाकी के जादूगर बनने का सफर

    मेजर ध्‍यानचंद (Major Dhyan Chand) के पिता सेना में थे। झांसी स्थानांतरण होने के बाद दद्दा भी साथ चले गए। वहां रुझान बदला और फिर वह हाकी के हो गए। उन्हें आक्रामक खेल पसंद था। अकेले ही बाल ड्रिबल करते हुए डी में प्रवेश कर जाते थे। 1960 से 1970 तक भारतीय हाकी टीम के कोच रहने के दौरान उन्होंने खिलाड़ियों की ड्रिबलिंग और बाल कंट्रोल स्किल को बढ़ाने का प्रयास किया।