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    उत्तराखंड के इस लोकसभा सीट पर भाजपा का रहा दबदबा, कांग्रेस के लिए भी रही है अहम; हमेशा एक जैसा रहता है मतदाताओं का मिजाज

    Updated: Mon, 18 Mar 2024 05:30 PM (IST)

    विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले बागेश्वर पिथौरागढ़ चंपावत और अल्मोड़ा जिले संसदीय सीट में शामिल हैं। अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल के तहत आता है। अल्मोड़ा अपनी हस्तकला और खानपान को लेकर पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। वहीं चंपावत भी उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की पसंदीदा स्थानों में शामिल है। ऊंचे पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां इस जिले की खूबसूरती में चार-चांद लगा देती है।

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    उत्तराखंड के इस लोकसभा सीट पर भाजपा का रहा दबदबा

    घनश्याम जोशी, बागेश्वर। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट का परिसीमन 1957 में हुआ था। विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा जिले संसदीय सीट में शामिल हैं। वर्ष 2009 से यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। भाजपा-कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।

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    अल्मोड़ा जिला उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल के तहत आता है। अल्मोड़ा अपनी हस्तकला और खानपान को लेकर पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। वहीं, चंपावत भी उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की पसंदीदा स्थानों में शामिल है। ऊंचे पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां इस जिले की खूबसूरती में चार-चांद लगा देती है।

    तीसरा जिला बागेश्वर अपने धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक छठाओं के लिए चर्चित है। रुद्रप्रयाग और चंपावत के बाद उत्तराखंड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला बागेश्वर ही है। यहां बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ और पिंडारी ग्लेशियर प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। इनके अलावा चौथे जिले के तौर पर शामिल पिथौरागढ़ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। लोगों का मानना है कि यहां पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी तथा उन्हीं के नाम से इस स्थान का नाम पिथौरागढ़ पड़ा।

    14 विधानसभाओं की लोकसभा सीट

    अल्मोड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत चार जिलों की 14 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें अल्मोड़ा जिले की छह सीटें अल्मोड़ा, द्वाराहाट, जागेश्वर, रानीखेत, सल्ट, सोमेश्वर, बागेश्वर जिले की दो सीटें बागेश्वर तथा कपकोट, चंपावत जिले की दो सीटें चंपावत व लोहाघाट, पिथौरागढ़ जिले की चार विधानसभा सीटें धारचूला, डीडीहाट, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ शामिल हैं। जिसमें तीन विधानसभा सीटें सोमेश्वर, बागेश्वर तथा गंगोलीहाट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।

    2019 में भाजपा को मिले 64.03 प्रतिशत मत

    वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर कुल 1254328 मतदाता थे। जिनमें से 640059 पुरुष तथा 614269 महिला वोटर थे। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 444651 (64.03 प्रतिशत) मत मिले थे। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी प्रदीप टम्टा को 211665 (30.48 प्रतिशत) मत मिले।

    मतदाताओं का मिजाज एक जैसा

    चीन तथा नेपाल के साथ-साथ गढ़वाल सीमा से सटी चार जिलों में फैली अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट अपने अलग मिजाज के लिए जानी जाती है। यहां काली, गोरी, पूर्वी व पश्चिमी रामगंगा, सरयू, कोसी नदियों वाले क्षेत्र में हिमालय का भू-भाग भी है। वर्ष 1977 में इस सीट से भाजपा के दिग्गज नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ढाई वर्ष तक इसका प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तीन बार इस क्षेत्र के सांसद रहे।

    वर्ष 1991 से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा के जीवन शर्मा एक बार और बची सिंह रावत तीन बार यहां के सांसद चुने गए। सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद भी भाजपा और कांग्रेस ही आमने-सामने रहे। वर्ष 2009 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा सांसद चुने गए। वर्ष 2014 से भाजपा के अजय टम्टा सांसद हैं। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र में भले ही चार जिले आते हैं। मतदाताओं का मिजाज लगभग एक जैसा ही रहता है। सैनिक के बाहुल्य वाली इस सीट पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं।

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