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    Paper Leak: कांग्रेस ने भाजपा पर बोला हमला, कहा- 'हाकम के हाकिम हत्थे चढ़ते ही गिर जाएगी धामी सरकार'

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 06:38 PM (IST)

    UKSSSC Paper Leak कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन सिंह माहरा ने पेपर लीक मामले में धामी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने एसआईटी जांच पर अविश्वास जताते हुए हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में सीबीआई जांच की मांग की ताकि मुख्य आरोपी हाकम सिंह के हाकिम पकड़े जा सकें। माहरा ने कहा कि पेपर लीक में सत्तापक्ष के लोग शामिल हैं।

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    सीबीआइ जांच हुई तो हाकम के हाकिम हत्थे चढ़ते ही गिर जाएगी धामी सरकार: माहरा

    जासं, रानीखेत। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन सिंह माहरा ने धामी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कहा कि पेपर लीक प्रकरणों पर सत्तापक्ष के लोगों के नाम सामने आते रहे हैं। एसआइटी पर उन्हें भरोसा नहीं है। हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में सीबीआइ जांच होनी चाहिए। ताकि मुख्य आरोपित हाकम सिंह के हाकिम पकड़ में आ सकें।

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    दावा किया कि बड़ी मछली पकड़ी गई तो भाजपा सरकार गिर जाएगी। माहरा ने कड़ा एतराज जताया कि पेपरलीक प्रकरण में एक अल्पसंख्यक के पकड़े जाने पर मुख्यमंत्री जिहाद नाम देकर उत्तराखंड के नौजवानों को जिहादी बताने पर तुल गए हैं। कहा कि अपनी सरकार में पेपरलीक की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम को क्षमा मांगनी चाहिए।

    माहरा शनिवार को पत्रकारों से रू ब रू हुए। धामी सरकार की चौतरफा घेराबंदी करते हुए सवाल उठाया कि भाजपा आइटी सेल संयोजक धर्मेंद्र चौहान के निजी विद्यालय को परीक्षा केंद्र और चौहान को प्रशासक बनाने की जरूरत क्यों पड़ी। और वहीं से पेपर हुआ।

    कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- 2022 के पटवारी भर्ती प्रकरण पर भाजपा से जुड़े जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह के साथ मंगलौर मंडल अध्यक्ष और यूकेएसएसएससी परीक्षा पेपर लीक मामले में हाकम दोबारा पकड़ा गया। मगर इस बार भाजपा आइटी सेल संयोजक धर्मेंद्र चौहान का नाम सामने आया। पेपरलीक बगैर सरकारी संरक्षण के संभव नहीं है।

    माहरा ने कहा- एसआइटी जांच में पुलिस पर बड़ा दबाव होगा। इसीलिए सीबीआइ जांच होनी चाहिए। माहरा ने 2022 की तरह यूकेएसएसएससी अध्यक्ष पद से वर्तमान चेयरमैन को भी त्यागपत्र दे देना चाहिए।

    उच्चतम न्यायालय का फैसला आयोग को नसीहत

    माहरा ने कहा- उत्तराखंड में भी कांग्रेस चुनाव में गड़बड़ी का मुद्दा उठाते रही है। चुनाव आयोग के विरुद्ध हाईकोर्ट की शरण ली गई। इसमें पंचायत राज एक्ट की धारा(9) का उल्लंघन है। उपधारा (6) व सात में छेड़छाड़ का खुलासा हुआ। पर आयोग बाज नहीं आया। जबरन चुनाव कराए। वोट चोरी के लिए ही पंचायत चुनाव समय पर कराने के बजाय छह माह के लिए प्रशासक बैठाए गए।

    शहरी लोगों के नाम ग्रामसभाओं जोड़े गए। आरोप लगाया कि कांग्रेस आक्रामक हुई तो भाजपा नाम काटने का खेल न कर सकी। फिर आपदा के बीच चुनाव कराए। उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाने पर आयोग को दो लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है। यह प्रमाण करता है कि आयोग सरकार के समक्ष घुटने टेक चुकी है।

    8995 नौकरियां, वह भी अस्थायी

    माहरा यही नहीं रुके। उन्होंने हालिया सीएम पुष्कर सिंह धामी के राज्य में 25 हजार लोगों को नौकरी व 41 हजार से ज्यादा पद सृजित करने संबंधी दावे को झूठ करार दिया। आंकड़े पेश करते हुए कहा कि धामी सरकार ने केवल 8995 नौकरियां दीं। इनमें भी 6250 अस्थायी हैं।

    2300 अतिथि शिक्षकों व समग्र शिक्षा अभियान के तहत 950 क्लस्टर व ब्लाक रिसोर्स पर्सन तथा तीन हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मी रखे गए। माहरा ने कहा- इसके उलट पक्की सरकारी नौकरियां 2745 हैं। 8498 रिक्तियां कब भरी जाएंगी पता नहीं। उन्होंने चुनौती दी कि यदि कांग्रेस के आंकड़े गलत हैं तो राज्य सरकार श्वेतपत्र जारी कर अपने वास्तविक आंकड़े प्रस्तुत करे।