बड़े पर्दे पर दिखेगा ‘शीतलाखेत मॉडल’, सामने आएगा उत्तराखंड में जंगलों की आग से जंग का सच
उत्तराखंड के जंगलों में आग से निपटने के लिए 'शीतलाखेत मॉडल' पर आधारित फिल्म जल्द ही दिखाई जाएगी। यह फिल्म जंगलों को बचाने के प्रयासों की सच्ची कहानी है और लोगों को जंगलों के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों को शामिल करके जंगलों को सुरक्षित रखने के तरीकों को दिखाना है।

महेश भट्ट निर्देशित ‘डीएफओ डायरी: फायर वारियर’ में दिखेगा उत्तराखंड का वन योद्धा मॉडल. File
चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा। उत्तराखंड के जंगलों को आग की लपटों से बचाने के लिए शुरू किया गया शीतलाखेत मॉडल अब बड़े पर्दे पर धमक मचाने को तैयार है। महेश भट्ट निर्मित एपिसोडिक हिंदी फिल्म ‘डीएफओ डायरी: फायर वारियर’ में इस मॉडल की कहानी को जीवंत किया गया है। फिल्म न केवल बिनसर जैसी भीषण वनाग्नि त्रासदी को उजागर करती है, बल्कि उससे निपटने के लिए स्थानीय लोगों और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों की मिसाल भी पेश करती है।
फिल्म में दो दशकों से स्याहीदेवी-शीतलाखेत क्षेत्र में आग से जंगल बचाने की जद्दोजहद और वहां के वन योद्धाओं का संघर्ष दर्शाया गया है। अब यह मॉडल केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में वनाग्नि नियंत्रण की प्रेरणा बनता जा रहा है।
सच्ची घटनाओं पर आधारित कथा, स्थानीय कलाकारों की दमदार मौजूदगी
‘डीएफओ डायरी: फायर वारियर’ में आइएफएस बीजू लाल और कई स्थानीय कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं। फिल्म में उत्तराखंड की लोकधुनों और आधुनिक संगीत का अनूठा संगम इसकी आत्मा है। यह फिल्म उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा और झारखंड में एक साथ रिलीज हो रही है।
बिनसर की आग से शीतलाखेत के संघर्ष तक
कहानी विश्व पर्यावरण दिवस के एक कार्यक्रम से शुरू होकर 2024 की बिनसर वनाग्नि त्रासदी तक जाती है।जहां छह लोगों ने जंगल बचाने के प्रयास में अपनी जान गंवाई थी। तीसरे चैप्टर में शीतलाखेत मॉडल की विस्तृत झलक दिखाई देती है। यह फिल्म कुमाऊं के उन अनसुने नायकों को समर्पित है, जिन्होंने जंगलों की रक्षा के लिए सब कुछ दाव पर लगा दिया। फिल्म में कुछ वनयोद्धाओं के शहीद होने की दर्दनाक घटना को दर्शाया गया है।
यह है शीतलाखेत मॉडल
इस मॉडल के तहत स्थानीय ग्रामवासियों, वन विभाग और स्वयंसेवकों की संयुक्त भागीदारी से आग लगने की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई गई। गांव-स्तर पर फायर वॉरियर टीमों का गठन, आग की शुरुआती सूचना प्रणाली, फायर लाइन निर्माण और जनजागरूकता अभियानों ने जंगलों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई। एएनआर पद्धति से पौधरोपण को बढ़ावा।
फिल्म के जरिए अब पूरे देश में लोग शीतलाखेत मॉडल को जानेंगे। यह वनाग्नि नियंत्रण की दिशा में प्रेरक पहल है और लोगों में जागरूकता लाएगी।” -गजेंद्र पाठक, सलाहकार, जंगल के दोस्त समिति व शीतलाखेत मॉडल
फिल्म को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। यह सत्य घटना पर आधारित है। इसमें शीतलाखेत क्षेत्र में कार्य कर रहे वन योद्धाओं को भी बतौर कलाकार लिया गया है। -महेश भट्ट, निर्देशक, फिल्म फायर वारियर

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।