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    'सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण देश और...', आरा सांसद सुदामा प्रसाद ने रेलवे कर्मचारियों के हक में आवाज उठाई

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 05:16 PM (IST)

    वाराणसी में इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन के अधिवेशन में सांसद सुदामा प्रसाद ने रेलवे कर्मचारियों के हक में आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारियों की मेहनत से ही रेलवे सफलता पूर्वक चल रही है। सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण देश के लिए घातक है और नई पेंशन योजना कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ है। उन्होंने कर्मचारियों के कल्याण के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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    सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण व निगमीकरण देश और जनता के लिए घातक : सांसद।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। आरा (बिहार) के सांसद व सदस्य रेलवे समिति सुदामा प्रसाद ने कहा कि रेलवे सफलता पूर्वक लाखों लोगों को देश में एक से दूसरे कोने तक सुरक्षित पहुंचा रही है। रेल कर्मियों के सर्दी, गर्मी, वर्षा ऋतु में हाड़तोड़ मशक्कत करने के कारण ही यह संभव है।

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    इतनी मशक्कत के बावजूद रेलकर्मियों को अपने हक के लिए आंदोलन करना पड़े, तो यह दुखदाई है। आइआरइएफ रेलकर्मियों की समस्याएं लेकर रेलवे बोर्ड, मंत्रालय, भारत सरकार के पास जाएगा तो मैं सेतु बनूंगा, जिससे रेल और रेल कर्मचारी समृद्ध हो सकें। कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण व निगमीकरण देश और जनता के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।

    सांसद सुदामा प्रसाद इंडियन रेलवे इम्प्लाइज (आइआरइएफ) फेडरेशन के चतुर्थ त्रिवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में रेलकर्मियों को इंद्रप्रस्थ सभागार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में करने के कारण, यहां से उठने वाली आवाज उन तक पहुंचेगी, जहां से आपकी अपेक्षाएं हैं।

    भारतीय रेल सहित सभी सार्वजनिक उपक्रम जनता की संपत्ति हैं, जिन्हें बेचकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना देशहित में नहीं है। जबरन लागू नई पेंशन योजना एनपीएस कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ है। दुर्गेश पांडे ने कहा कि यह अधिवेशन रेलकर्मियों की आवाज़ को देशव्यापी मज़बूती देगा।

    रेलवे की पांच उत्पादन इकाइयों के प्रतिनिधि गोरखपुर यांत्रिक कारखाना के मंडल मंत्री प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि उत्पादन इकाइयों को बचाने से ही रेलवे बचेगा।

    कामरेड सुभाष दूबे ने कहा कि आइआरइएफ का यह अधिवेशन देश में रेलकर्मियों को संगठित करने का शंखनाद है। विशिष्ट अतिथि व बिहार के एमएलसी शशि यादव ने कहा कि रेलकर्मियों को समृद्धि देकर ही सरकार रेलवे को सफलता की ऊंचाइयों पर ले जा पाएगी।

    रेलकर्मियों की लड़ाई में आइआरइएएफ अगली पंक्ति में : सर्वजीत

    वाराणसी : आइआरईएफ के महासचिव सर्वजीत सिंह जी ने कहा कि रेलवे कर्मियों के अधिकारों की लड़ाई में हम अग्रिम पंक्ति में हैं। आज सरकार निगमीकरण और निजीकरण की राह पर बढ़ रही, तो यह विशाल अधिवेशन संदेश देता है कि रेलकर्मियों के भविष्य से समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।

    मौत के बाद अपनों का सहारा पेंशन : अखिलेश पांडय

    वाराणसी : अध्यक्षीय भाषण में अखिलेश पांडेय ने कहा कि हमने प्रण लिया है, कि युवाओं को न्याय दिलाने में जान की बारी आई तो पीछे नहीं हटूंगा। पुरानी पेंशन हर महीने का सहारा है, अंतिम समय का गुजारा है। इसलिए एनपीएस/यूपीएस स्वीकार्य नहीं है।

    कर्मचारी कल्याण के हर संभव कदम उठाए जाएंगे : डीआरएम

    वाराणसी : बनारस रेल मंडल के डीआरएम आशीष जैन ने आश्वस्त किया कि कर्मचारियों के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। कहा कि रेल परिवार के प्रत्येक सदस्य की सुविधा और हित हमारे लिए सर्वोपरि है। किसी को कोई परेशानी है, तो वह मुझसे बता सकता है।

    कर्मचारियों को करेंगे पूरा सहयोग : अनुभव

    वाराणसी : वरिष्ठ मंडल कार्मिक प्रबंधक व विशिष्ट आमंत्रित अतिथि अभिनव कुमार सिंह ने कहा कि रेल कर्मियों के लिए जितनी सुविधाएं बोर्ड ने दी हैं, उसे पाने में किसी को परेशानी नहीं होगी। कार्मिक विभाग उनकी मदद करेगा।

    एकता से ही निकलेगी राह : डा. सूद

    वाराणसी : जेएनयू के प्रोफेसर डा. अतुल सूद ने कहा कि एकता से ही निकलेगी सफलता की राह। आइआरइएफ का यह अधिवेशन न केवल रेल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा एवं ओपीएस के संघर्ष को नई दिशा देगा, बल्कि रेलवे को जनता की संपत्ति के रूप में संरक्षित रखने में भी सशक्त कदम सिद्ध होगा।

    एआइआरएफ ही रेलकर्मियों की हितैषी : राजीव डिमरी

    वाराणसी : एआइसीसीटीयू के महासचिव राजीव डिमरी ने कहा कि एआइआरएफ ही रेलकर्मियों की हितैषी है। इसलिए अल्प समय में प्रचुर लोकप्रियता अर्जित कर पाई है। एआइसीसीटीयू इस संगठन की सोच और सपने को साकार करने में मददगार बनेगा।

    अधिवेशन के उद्देश्य

    • रेलकर्मियों के अधिकारों की रक्षा एवं संवर्धन।
    • पुरानी पेंशन योजना की बहाली।
    • एनपीएस एवं यूपीएस के खिलाफ व्यापक आंदोलन।
    • रेलवे के निजीकरण एवं निगमीकरण की नीतियों काे ध्वस्त करना।
    • कर्मचारी-हितैषी नीतियों एवं कार्य-परिस्थितियों का विकास।
    • संगठन की मजबूती और रेलकर्मियों सशक्त एकता।