Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाराणसी के कैदियों ने रचा इतिहास, डेढ़ करोड़ रुपये की कमाई से बदली परिवारों की तकदीर

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 11:39 AM (IST)

    वाराणसी केंद्रीय कारागार के 600 कैदियों ने वर्ष 2024 में काष्ठ कला और लौह उद्योग जैसे क्षेत्रों में 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। जेल प्रशासन ने हुनरमंद कैदियों को गुरु बनाकर अन्य बंदियों को प्रशिक्षित किया। इस पहल से कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया गया और उनके बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी कम हुआ।

    Hero Image
    संगीत शिक्षा ने भी कैदियों को नई दिशा दी है।

    राकेश श्रीवास्तव, जागरण वाराणसी। केंद्रीय कारागार, वाराणसी के 600 कैदियों ने अपने हौसले, मेहनत और पश्चाताप के जज्बे से नया इतिहास रच दिया। वर्ष 2024 में इन्होंने काष्ठ कला, लौह उद्योग, अचार निर्माण, साड़ी बुनाई और खेती-किसानी जैसे क्षेत्रों में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर अपने परिवारों को सम्मानजनक जीवन दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जेल प्रशासन के अभिनव प्रयासों के तहत शुरू हुई पहल, जिसमें हुनरमंद कैदियों को गुरु बनाकर अन्य बंदियों को प्रशिक्षित किया जाता है, ने जेल के माहौल को परिवार जैसा बना दिया। इस पहल ने न केवल कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि उनके बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी उठाने में मदद की। जेलर अखिलेश कुमार और डिप्टी जेलर अखिलेश मिश्र की देखरेख में रुचि के अनुसार प्रशिक्षण ने कैदियों के जीवन को नई दिशा दी। तीन वर्ष पहले शुरू हुई इस अनूठी पहल ने जेल के परिदृश्य को बदल दिया।

    2022 में कैदियों ने 75.71 लाख, 2023 में 44.28 लाख और 2024 में 1.51 करोड़ रुपये की कमाई की। इसके अलावा, बनारस घराने के गुरु डॉ. आशीष मिश्रा द्वारा दी जा रही संगीत शिक्षा ने कई कैदियों को प्रभाकर डिग्री दिलाई, जो जेल से रिहा होने के बाद समाज में संगीत का उजाला फैला रहे हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक राधा कृष्ण मिश्र इसे सरकार की कौशल विकास योजना की सफलता मानते हैं।

    जब हुनरमंद कैदियों के रिहा होने से जेल में कुशल हाथों की कमी महसूस होने लगी, तब प्रशासन ने नवाचार किया। हुनरमंद कैदियों को गुरु बनाकर अन्य बंदियों को प्रशिक्षित करने की शुरुआत की गई। इस पहल ने न केवल कौशल विकास को बढ़ावा दिया, बल्कि जेल के माहौल को भी घर जैसा बना दिया। आपसी सहयोग और समझ के कारण कैदियों की कमाई बढ़ी और जेल का वातावरण सकारात्मक हो गया।

    केंद्रीय कारागार के प्रमुख उद्योग: लकड़ी से बनीं कलात्मक वस्तुएं, धातु से उपयोगी सामग्री का निर्माण, स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण अचार, बनारसी साड़ियों की बुनाई, जैविक खेती और सब्जी उत्पादन।

    अब संभाल रहे बच्चों की पढ़ाई का खर्च

    रुचि के अनुसार प्रशिक्षण, सकारात्मक परिणाम जेल में पूरे वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते हैं। कैदी स्वयं अपने-अपने ट्रेड के लिए प्रशिक्षुओं का चयन करते हैं। जेलर अखिलेश कुमार और डिप्टी जेलर अखिलेश मिश्र इस प्रक्रिया की निगरानी करते हैं। पूर्वांचल की जेलों से आए सजायाफ्ता कैदियों की काउंसलिंग कर पहले उनके रुझान को समझा जाता है। जेल के नियम-कानून समझाने के बाद, एक पखवाड़े में उनकी रुचि के आधार पर काष्ठ कला, लौह उद्योग, अचार निर्माण, साड़ी बुनाई या खेती-किसानी जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण शुरू किया जाता है।

    कारागार में संगीत से बदला माहौल, बनी नई राह केंद्रीय कारागार में संगीत शिक्षा भी उच्च स्तर की है। बनारस घराने के प्रख्यात गुरु डा. आशीष मिश्रा कैदियों को निश्शुल्क तालीम देते हैं। हर वर्ष एक-दो कैदी प्रभाकर डिग्री लेकर जेल से रिहा हो रहे हैं और समाज में संगीत का प्रकाश फैला रहे हैं। ये कैदी जेल के भीतर भजन संध्या के जरिए माहौल को खुशनुमा बनाते हैं।

    वर्ष-दर-वर्ष कमाई का आंकड़ा
    वर्ष आय
    2022 75,71,766 रुपये
    2023 44,28,020 रुपये
    2024 1,51,58,130 रुपये

    बोले जेल अधीक्षक

    सरकार की कौशल विकास योजना इस सफलता की नींव है। शुरुआत में इसी योजना से कैदियों को प्रशिक्षित किया गया, फिर उन्हें गुरु बनाया गया। कैदी रिहा होते रहते हैं, लेकिन सरकारी प्रोशिक्षण का समय सीमित होता है। मेरी रणनीति, सहयोगियों की लगन और कैदियों के पश्चाताप के जुनून ने जेल के माहौल को परिवार जैसा बना दिया। -राधाकृष्ण मिश्र, वरिष्ठ जेल अधीक्षक।