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    वाराणसी में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़, गूंजे मातारानी के जयकारे

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 05:43 PM (IST)

    शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन वाराणसी में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। दुर्गाघाट और दुर्गाकुंड मंदिरों में सुबह से देर रात तक लंबी कतारें लगी रहीं। भक्तों ने मां की विशेष पूजा-अर्चना की दुर्गा सप्तशती का पाठ किया और विविध प्रकार के नैवेद्य अर्पित किए।

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    शहर में मां दुर्गा के जयकारों से माहौल भक्तिमय रहा और मंदिरों में दिव्य सुगंध फैल रही थी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। ‘या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नम:तस्यै, नम: तस्यै, नम: तस्यै, नमो नम:..’ के मंत्र गूंज रहे थे। सनातन घरों से धूप, अगरबत्ती, गुग्गुल की उड़ती सुगंध वातावरण में दिव्यता का प्रसार कर रही थी।

    मंदिरों में मां दुर्गा के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी थी और बम भोले शिव श्रीकाशी विश्वनाथ की नगरी मां आदिशक्ति के दुर्गारूप के जयकारों से गूंज रही थी। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन आश्विन शुक्ल द्वितीया मंगलवार को लोगों ने मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का दर्शन-पूजन किया।

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    दुर्गा सप्तशती व अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन पूजन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, मां से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, माता अपने भक्तों को धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर नगर में दुर्गा घाट पर स्थित है। वहां ब्रह्म मुहूर्त में माता को पंचामृत से स्नान कराकर नूतन वस्त्र पहनाकर मां का विशेष श्रृंगार आरती के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे, भाेर से लेकर देर रात तक भक्तों की कतार लगी रही।

    इसी तरह दुर्गा कुंड स्थित मां के मंदिर पर भी भक्त श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं। आबाल-वृद्ध स्त्री पुरुष भक्तों ने मां के दिव्य श्रृंगार से युक्त स्वरूप का दर्शन किया और मां के चरणों में गुड़हल पुष्पों की माला, चुनरी, नारियल, बताशे आदि चढ़ाए। घरों में स्थापित कलश के समक्ष पवित्र चौकी पर स्थापित मां के स्वरूप के समक्ष भक्तों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया और धूप-दीप, दशांग, पान, लौंग, इलायची, के आदि के साथ ही विविध प्रकार के नैवेद्यों से मां का भोग लगाया।

    इसके अतिरिक्त गायत्री साधकों, वाममार्गी साधकों, काली तंत्र उपासकों ने भी अपनी-अपनी पद्धति के अनुसार सात्विक व तांत्रिक साधना कर मां आदिशक्ति को प्रसन्न किया और उनका आशीर्वाद ग्रहण किया। शहर के पांच पूजन पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना के बाद चहल-पहल बढ़ गई है।