अब पुलवामा के नाम पर डरा रहे साइबर ठग, कर रहे डिजिटल अरेस्ट
वाराणसी में साइबर ठगों का नया तरीका, पुलवामा हमले के नाम पर लोगों को डराकर डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं। वे लोगों को बता रहे हैं कि उनके खाते से आतंकियों ...और पढ़ें

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। डिजिटल अरेस्ट करने के लिए साइबर ठग पुलवामा आतंकी हमले का नाम ले रहे हैं। जिसे शिकार बना रहे हैं उसे बता रहे हैं कि उनका नाम पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकियों के साथ आया है। उनके बैंक खाते का उपयोग आतंकियों को धन मुहैया कराने के लिए किया गया है। इससे घबराए लोग उनके झांसे में आ जाते हैं और जांच के नाम पर अपने बैंक खाते के रुपये साइबर ठगों के संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं।
केस-1
साइबर ठगों ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर संजय अपार्टमेंट, काटन मिल की रहने वाली डा. अल्पना राय चौधुरी को डिजिटल अरेस्ट करके दस लाख की साइबर ठगी की।
पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि बीते एक नवंबर को उनके मोबाइल पर वीडियो काल आई। काल करने वाला पुलिस की वर्दी पहने था और खुद को लखनऊ का एटीएस इंस्पेक्टर रंजीत बताया। कहा कि अल्पना का नाम कश्मीर के पुलवामा हुए आंतकी हमले के मनी लाड्रिंग में आया है। उनके बैंक खाते में सात करोड़ रुपये आए जिनमें से 70 लाख रुपये उन्होंने लिए हैं। यह मामला देशद्रोह का जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
केस-2
साइबर ठगों ने चितईपुर थाना क्षेत्र के विवेकानंद पुरम कालोनी निवासी सेवानिवृत्त लाइब्रेरियन सुधीर नारायण उपाध्याय को डिजिटल अरेस्ट करके साढ़े सात लाख की ठगी की। बीते 14 नवंबर को उनके मोबाइल पर काल आई। काल करने करने वाले ने खुद को लखनऊ पुलिस कमिश्नर आफिस में तैनात इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिंह बताया।
कहा कि पुलवामा नरसंहार में जेल में बंद अफजल खान के पास उनका आधार कार्ड मिला है। व्हाट्सएप के जरिए भारतीय सेना की जानकारी पाकिस्तान को दिया। बताया कि सुधीर के एचडीएफसी बैंक के खाते से दो करोड़ की मनी लांड्रिंग की गई है और खाते में 27 लाख छोड़कर शेष राशि निकाली गई है। बैंक खाते में मौजूद रुपयों की जांच के नाम पर सुधीर और उनकी पत्नी के खाते से साढ़े सात लाख खुद के संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया।
इनके साथ हुई डिजिटल अरेस्ट करके ठगी
- रोहनिया के लठिया निवासी महेंद्र प्रसाद 1.10 करोड़ रुपये की ठगी
- पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त असिस्टेंट रजिस्ट्रार कृष्णा अपार्टमेंट महमूरगंज में रहने वाले सुभाष चंद्र से 49.4 लाख रुपये
- सारनाथ के माधव नगर कालोनी निवासी सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट अनुज यादव से 98 लाख रुपये
- 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट करके चंद्रा रेजिडेंसी हुकुलगंज में रहने वाली 67 वर्षीय नीना कौर से 32.40 लाख रुपये
- मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के मड़ौली निवासी अमिताभ श्रीमनी से 40 लाख रुपये
- भेलूपुर थाना क्षेत्र के सोनारपुरा निवासी निहार पुरोहित से 29 लाख
- शिवपुर के तरना निवासी सुभाष सिंह से 19 लाख रुपये
- चितईपुर थाना क्षेत्र के सुसुवाही निवासी राम नरेश सिंह से साढ़े दस लाख रुपये
- आइएमएस बीएचयू रेडियोथेरिपी विभाग की डा. शाश्वती साहू से पांच लाख रुपये
- अर्दली बाजार की भुवनेश्वर नगर कालोनी निवासी सेवानिवृत्त सहायक चंकबंदी अधिकारी सुधीर सिंह परमार से 38 लाख रुपये
- बड़ागांव के अहरक निवासी हंसराज सिंह से साढ़े आठ लाख रुपये
नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस के नाम पर करते थे
डिटिजल अरेस्ट करके वाराणसी के एक दर्जन से अधिक लोगों के साथ साइबर ठगी की गई। ज्यादातर मामलों में साइबर ठगों ने नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में शामिल होने की बात कहते हुए गिरफ्तारी का डर दिखाया और रुपयों की जांच के बहाने रुपये खुद के संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया था। जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल को मनी लांड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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पुलिस व बैंक कर्मियों की सतर्कता से बच गए थे आईएएस व चिकित्सक के रुपये
साइबर ठगों के द्वारा डिजिटल अरेस्ट हुए रिटायर्ड आइएएस एचडीएफसी बैंक की महिला कर्मचारियों की सूझबूझ और एसीपी क्राइम विदुष सक्सेना की तत्परता से मुक्त हो पाए। उनकी मेहनत की कमाई के 39 लाख साइबर ठगों के हाथों में जाने से बच गए।
बीएचयू से सेवानिवृत्त ह्रदय रोग विशेषज्ञ प्रो. पीआर गुप्ता को साइबर ठगों ने 24 घंटे से अधिक समय तक डिजिटल अरेस्ट किए रखा था। भयभीत चिकित्सक साइबर ठगों को देने के लिए लंका के एचडीएफसी बैंक में अपना फिक्स डिपोजिट तोड़ने गए थे। संदेह होने पर बैंक कर्मियों ने उनसे पूछताछ की संतोषजन जवाब नहीं मिलने पर पुलिस को सूचना दी और चिकित्सक के डेढ़ करोड़ रुपये साइबर ठगों के पास जाने से बचा लिया थे।
पुलिस नहीं करती डिजिटल अरेस्ट
- डिटिजल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस एडवाइजरी जारी किया है।
- देश में कोई डिजिटल थाना नहीं है और पुलिस डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।
- ऐसे फोन काल या मैसेज जिसमें बताया जाए कि आपके खिलाफ केस दर्ज है, आपका खाता बंद हो जाएगा पूरी तरह फर्जी है।
- इसकी सूचना तत्काल पुलिस को देनी चाहिए।
- साइबर ठग अक्सर भावनात्मक दबाव बनाते हैं उनकी बातों में कभी नहीं आना चाहिए बल्कि सत्यता की जांच की जानी चाहिए।
- निजी जानकारी, बैंक खाता विवरण, आदि किसी के साथ साझा न करें।
- साइबर अपराध का शिकार होने पर 24 घंटे के अंदर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर देने के साथ निकटतम थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराएं।
- cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें, यह पोर्टल हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है।

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