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    सिद्धार्थनगर में एक करोड़ से अधिक की साइबर ठगी का पर्दाफाश, पांच आरोपित गिरफ्तार

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 03:48 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में पुलिस ने एक करोड़ से अधिक की साइबर ठगी का पर्दाफाश किया है। इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ...और पढ़ें

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर। साइबर ठगी के एक बड़े मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि आरोपितों ने देश के विभिन्न प्रांतों के लोगों को झांसे में लेकर एक करोड़ सात लाख तीन हजार सात सौ बीस रुपये की धनराशि अपने खातों में मंगाई और उसे निजी उपयोग में खर्च किया।

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    पुलिस क्षेत्राधिकारी विश्वजीत सौरयान ने बताया कि इस प्रकरण में कोतवाली कपिलवस्तु में मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना के दौरान यह सामने आया कि आरोपितों के विरुद्ध राष्ट्रीय साइबर शिकायत प्रणाली पर विभिन्न राज्यों से कुल 35 शिकायतें दर्ज थीं। इन शिकायतों में लोगों से छल कर धनराशि म्यूल खातों के माध्यम से मंगाने की पुष्टि हुई। इसी आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांचों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।

    गिरफ्तार आरोपितों में शहजाद खान पुत्र अब्दुल कलीम, निवासी कस्बा अलीगढ़वा, थाना कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर, आशीष कुमार मिश्रा उर्फ अन्नू मिश्रा पुत्र दिवाकर मिश्रा, मूल निवासी ग्राम बरकुल, थाना चाकर चौड़ा, नेपाल, वर्तमान पता कस्बा अलीगढ़वा, थाना कपिलवस्तु, परवेज पुत्र अब्दुल गफ्फार, मूल निवासी ग्राम भैंस कुंडा, थाना पकड़ी, नेपाल, वर्तमान पता अलीगढ़वा, थाना कपिलवस्तु, अब्दुल अहद पुत्र हामीद हुसैन, निवासी बेलौहा बाजार, थाना खेसरहा, वर्तमान पता ग्राम सरदार नगर, थाना कपिलवस्तु तथा मोहम्मद वसीम पुत्र अब्दुल समद, निवासी अलीगढ़वा, थाना कपिलवस्तु, जनपद शामिल हैं।

    पुलिस के अनुसार, पूछताछ में आरोपितों ने स्वीकार किया कि ठगी से प्राप्त धनराशि का उपयोग वे अपने दैनिक खर्चों और अन्य आवश्यकताओं में करते थे। आरोपितों के कब्जे से सात मोबाइल फोन, एक मोटरसाइकिल, एक मारुति स्विफ्ट कार तथा 98 हजार 200 रुपये नकद बरामद किए गए हैं। सभी आरोपितों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। गिरफ्तारी करने वाली टीम में कपिलवस्तु कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार तिवारी, उपनिरीक्षक अखिलेश कुमार मिश्र, सदरूल आलमीन, आरक्षी आलोक यादव, राहुल कुमार तथा महिला आरक्षी सुषमा वर्मा शामिल रहीं।

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    अपराधियों द्वारा किया जाता है म्यूल खाता का प्रयोग
    म्यूल खाता ऐसा बैंक खाता होता है, जिसका उपयोग अपराधी ठगी या अन्य अवैध तरीकों से प्राप्त धन को इधर-उधर भेजने और वैध दिखाने के लिए करते हैं। इस प्रक्रिया को धन शोधन कहा जाता है। म्यूल खाते के माध्यम से धन कई खातों में घुमाया जाता है, जिससे धन के वास्तविक स्रोत और अंतिम उपयोग तक पहुंचना जांच एजेंसियों के लिए कठिन हो जाता है।