AIR Quality: ऑरेंज जोन में पहुंची बनारस की हवा, सांस लेना हुआ मुश्किल
वाराणसी की हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है और यह ऑरेंज जोन में पहुंच गई है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया है। प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण लोग ...और पढ़ें

दोपहर तीन बजे धुंध की वजह से नही दिख रहे गंगा के घाट। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। जगह-जगह खोदी गई सड़कों से उड़ते धूल के गुबार, सर्द मौसम, शीत का प्रभाव सबने मिलकर बनारस की हवा में धूल कणों की संख्या इतनी बढ़ाई कि अब तक येलो जोन में चल रही बनारस की हवा शनिवार को आरेंज हो गई। इससे सांस के मरीजों की तकलीफें बढ़ गई हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकृत समीर एप पर शनिवार को शहर का औसत एक्युआइ 227 रहा। सबसे खराब हवा अर्दली बाजार में रिकार्ड की गई जहां एक्युआइ 245 पहुंच गया था। भेलूपुर में एक्युआइ 212, मलदहिया में 228 और बीएचयू में 207 रिकार्ड किया गया। हवा में बढ़े धूल कणों और शीत के प्रभाव से आसमान में पूरे दिन धुंध छाई रही।
दो वर्ष बाद इस वर्ष बनारस की हवा सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। अक्टूबर माह से येलो जाेन में पहुंची हवा बीच-बीच में एक-दो दिन के लिए ही लाइट ग्रीन जोन में वापस गई लेकिन फिर लौटकर येलो जोन में रही। एक्युआइ अक्टूबर से लगातार 100 से ऊपर बना हुआ है लेकिन शनिवार को तो यह 200 के पार चला गया।
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बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि सर्दी बढ़ने के साथ एक्युआइ का स्तर बढ़ जाता है। इस समय शहर में अनेक स्थानों पर सड़कों की खोदाई हुई पड़ी है, शहर में भीड़ बढ़ गई है तो तापमान सामान्य से नीचे आ गया है, वातावरण में शीत व आर्द्रता बढ़ गई है।
इनकी वजह से सतह से उड़े धूल के कण ऊपर जाकर शीत की बूंदों के साथ संयुक्त होकर मोटे हो जाते हैं और धुंध के साथ मिलकर हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। ठंड के समय मे जगह-जगह अलाव जलने से भी हवा में धुएं की मात्रा बढ़ जाती है। हवा की गुणवत्ता खराब होने पर उन्होंने सांस के मरीजों को बाहर निकलने से परहेज करने की सलाह दी।

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