भगवान शिव का वारिस बन हड़प ली लबे रोड करोड़ों की 24 एकड़ जमीन, शिकायत के बाद सामने आया फर्जीवाड़ा
वाराणसी में भू माफियाओं ने भगवान शिव के नाम की 24 एकड़ जमीन फर्जी दस्तावेजों से हड़प ली। राजस्व विभाग की मिलीभगत से, महेंद्र गिरी के उत्तराधिकारियों न ...और पढ़ें
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चिल्बिला स्थित मंदिर का शिवलिंग। जागरण
अशोक सिंह, वाराणसी। कीमती जमीनों को येन-केन प्रकारेण फर्जी दस्तावेज बनवा कर कब्जा करने का खेल पुराना है। इसमें राजस्व विभाग की भी मिली-भगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। नया यह है कि भू माफिया/अतिक्रमणकारी इतने बेखौफ हो चुके हैं कि भगवान भी नहीं छोड़ा।
ऐसे ही एक मामले में भगवान शिव के नाम की लबे रोड करोड़ों की 24 एकड़ जमीन कुछ लोगों ने राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से अपने नाम वरासत करा ली। भू-स्वामी बन रोड चौड़ीकरण में गई जमीन का मुआवजा भी ले लिया। इसे पाप का घड़ा भरना भी कह सकते हैं कि एक शिकायत से मामला सामने आया तो जांच के बाद एक बार फिर लबे रोड करोड़ों की भूमि भगवान शिव के नाम कर कर दी गई।
तहसील पिंडरा में बाबतपुर-कपसेठी मार्ग पर ग्राम सभा चिलबिला व दीनापुर की सीमा पर एक स्थान पर कई आराजी नंबर में भगवान शिव के नाम कुल लगभग 24 एकड़ भूमि है। शिकायतकर्ता जवाहिर व मोतीराम निवासी चिलबिला ने एसडीएम पिंडरा को बताया कि भगवान शिव के नाम की जमीन के सरवराकार (प्रबंधक) के रूप में महेन्द्र गिरी चेला भगवान गिरी का नाम अंकित था।
महेंद्र गिरी की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने 1995 में नायब तहसीलदार पंद्रह की मिलीभगत से तथ्यों को छिपाकर अपने नाम वरासत कराकर भू-स्वामी बन गए। यह नियम विरुद्ध है। इतना ही नहीं लगभग एक दशक पूर्व जब बाबतपुर-कपसेठी मार्ग का चौड़ीकरण हुआ तो इन फर्जी भू-स्वामियों ने करोड़ों रुपया का भगवान शिव के हिस्से का मुआवजा भी ले लिया।
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इसी आराजी में काबिज जवाहिर आदि शिकायतकर्ताओं ने एसडीएम पिंडरा के न्यायालय में वर्ष 2021 में तजबीजसानी (रेस्टोरेशन) दाखिल किया। मामले की जांच की गई तो पुराने दस्तावेजों में भूमि भगवान शिव के नाम निकली। जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व ने भी अपना पक्ष रखते हुए भगवान शिव के नाम की जमीन के वरासत को विधि विरुद्ध कहा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद नायब तहसीलदार पंद्रह ने रेस्टोरेशन शिकायत सही पाया और सभी के नाम को काटकर एक बार फिर भगवान शिव का नाम दर्ज कर दिया गया।
देवता की संपत्ति अपरिवर्तनीय होती है क्योंकि संपत्ति देवता को समर्पित होती है। जो देवता के पास ही रहती है। महंत या पुजारी धार्मिक संपत्ति का मालिक नहीं बल्कि केवल ट्रस्टी या प्रबंधक होता है। देवता एक जूरिस्टिक पर्सन हैं और उनकी संपत्ति की न्यायिक सुरक्षा जिला जज तथा प्रशासनिक सुरक्षा जिलाधिकारी के पास होती है। महन्त या पुजारी धार्मिक संपत्ति का मालिक नहीं बल्कि केवल प्रबंधन का दायित्व होता है। चिलबिला-दीनापुर की भूमि देवता श्री शिव जी की स्थाई संपत्ति है जो किसी निजी व्यक्ति के स्वामित्व में अंतरित नहीं हो सकती है।
-अशोक कुमार वर्मा-जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व, वाराणसी।

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