आखिर लुटेरों को जमीं खा गई या आसमां निगल गया, चार माह बाद भी पुलिस के हाथ खाली
वाराणसी जिले में कछवांरोड पुलिस चौकी के पास चार महीने पहले हुई लूट का मामला अभी तक अनसुलझा है। अज्ञात बदमाशों ने एक्सवे माइक्रो क्रेडिट शाखा से 26 हजार रुपये लूटे थे। पुलिस सीसीटीवी फुटेज से जांच कर रही है लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है और पुलिस खाली हाथ है।

शैलेन्द्र सिंह 'पिन्टू', जागरण संवाददाता। कछवांरोड पुलिस चौकी के समीप हुई लूट की घटना को चार माह बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। 28 अप्रैल को एक्सवे माइक्रो क्रेडिट प्राइवेट लिमिटेड की शाखा में दिनदहाड़े हेलमेट पहने बाइक सवार अज्ञात बदमाशों ने शाखा प्रबंधक अंकित सिंह को असलहे के बल पर आतंकित कर 26 हजार 181 रुपये लूट लिए थे। इस वारदात के बाद से लुटेरों का कोई सुराग नहीं मिल सका है। इसकी वजह से व्यापारी और स्थानीय ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
लूट की घटना के बाद बदमाश असलहा लहराते हुए मीरजापुर की ओर भाग निकले थे। घटना की सूचना मिलते ही डीसीपी (गोमती जोन) आकाश पटेल और एसओजी की टीम मौके पर पहुंची थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर लुटेरों की तलाश जारी है। हालांकि, चार माह बीत जाने के बाद भी लूट का राजफाश नहीं हो सका है। इस स्थिति को देखते हुए सीपी ने 16 मई को मिर्जामुराद के पूर्व एसएचओ सुधीर त्रिपाठी को लाइनहाजिर कर दिया था, जबकि कछवांरोड चौकी प्रभारी अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं।
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मिर्जामुराद थानाप्रभारी निरीक्षक प्रमोद पांडेय ने बताया कि लुटेरों का सुराग मिल गया है और जल्द ही उन्हें पुलिस की गिरफ्त में लाया जाएगा। लेकिन, स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। लूट की इस घटना ने न केवल व्यापारियों को बल्कि आम नागरिकों को भी चिंतित कर दिया है।
इस वारदात ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पुलिस की कार्यप्रणाली में कोई कमी है या फिर लुटेरों की पहचान में कोई बाधा आ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो शायद लुटेरों को पकड़ा जा सकता था।
इस घटना ने यह भी दर्शाया है कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं, जो दिन के उजाले में इस तरह की वारदात को अंजाम देने में संकोच नहीं करते। पुलिस प्रशासन को अब इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। कुल मिलाकर, यह लूट की घटना न केवल एक आपराधिक वारदात है, बल्कि यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाती है। अब देखना यह है कि पुलिस कब तक लुटेरों को पकड़ने में सफल होती है।
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