यूपी में टोल टैक्स पर जमकर हो रहा फर्जीवाड़ा, बिना फास्टैग वाहनों से वसूले लाखों रुपये, NHAI को मिले सिर्फ 25 हजार
यूपी में टोल टैक्स पर जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। बिना फास्टैग वाले वाहनों से लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं लेकिन NHAI को सिर्फ 25 हजार ही मिल रहे हैं। प्रतिमाह आठ हजार वाहन ऐसे होते हैं जिनमें फास्ट टैग नहीं होता है। बिलिंग एनएचएआइ के अधिकृत साफ्टवेयर टोलिंग मैनेजमेंट सिस्टम से नहीं होती थी। इन्हें अवैध साफ्टवेयर से बनी नकली रसीद दी जाती थी।

संग्राम सिंह, वाराणसी। मीरजापुर के अतरैला शिवगुलाम टोल प्लाजा पर प्रत्येक माह एक लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं। इसमें बिना फास्टैग वाले भी करीब आठ हजार वाहन होते हैं। अर्थदंड के तौर पर ऐसे वाहन स्वामियों से दोगुणा टोल नकद लिया जाता था। लेकिन उनकी बिलिंग एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिकृत साफ्टवेयर टोलिंग मैनेजमेंट सिस्टम से नहीं होती थी। इन्हें अवैध साफ्टवेयर से बनी नकली रसीद दी जाती थी।
टोल प्लाजा पर अवैध साफ्टवेयर इंस्टाल कर करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले गिरोह में शामिल टोलकर्मी बिना फास्टैग वाहनों को एग्जेम्टेड श्रेणी में डाल देते थे। दरअसल, एनएचएआइ ने पांच प्रतिशत वाहनों को एग्जेम्टेड श्रेणी में डालने की सुविधा दे रखी है, अर्थात इन्हें बिना शुल्क लिए टोल से गुजरने की वैधानिक अनुमति प्राप्त है। इसमें वीआइपी या शासन-प्रशासन की तरफ से टोल फ्री सुविधा के लिए अनुमन्य वाहन शामिल होते हैं।
प्राधिकरण समय-समय पर एग्जेम्टेड वाहनों की सूची टोल कंपनी को प्रसारित करता है। गिरोह के सदस्य अतरैला टोल प्लाजा से गुजरने वाले बगैर फास्टैग के वाहनों से मिलने वाली नकद टोल राशि को भी इस एग्जेम्टेड वाहनों की श्रेणी में दिखाते थे।
अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से की घपलेबाजी
राष्ट्रीय राजमार्ग-135 पर स्थित अतरैला टोल प्लाजा से वीआइपी वाहनों का आवागमन कम था, इसलिए अवैध साफ्टवेयर का सहारा लेकर घपलेबाज भारी-भरकम राशि अपने खाते में डाल रहे थे। फास्टैग वाले हल्के और भारी वाहनों से 70 रुपये से लेकर 500 रुपये तक टोल राशि वसूली जाती है। यहां टोल संग्रह करने वाली गुरुग्राम की शिवा बिल्टेक कंपनी एनएचएआइ को करीब 3.75 करोड़ रुपये मासिक भुगतान करती थी।
एनएचएआइ की प्राथमिक जांच में इस टोल प्लाजा से प्रतिमाह बिना फास्टैग वाले करीब आठ हजार वाहनों की आवाजाही का अनुमान है। एनएचएआइ के इंजीनियरों के अनुसार गिरोह ने एक वाहन से औसतन 200 रुपये टोल राशि भी ली होगी तो आठ हजार वाहनों से वसूली धनराशि 16 लाख रुपये से अधिक होती है। लेकिन एग्जेम्टेड वाहनों की श्रेणी में एनएचएआइ के खाते में हर महीने सिर्फ 20 से 25 हजार रुपये ही जमा किया जाता था।
शिवा बिल्टेक तो बीते अक्टूबर से ही यहां टोल संग्रह कर रही है लेकिन एनएचएआइ को इस श्रेणी में इतनी ही धनराशि बीते लगभग तीन वर्षों से मिलती रही थी। यानी सिर्फ अतरैला टोल प्लाजा पर करीब साढ़े 15 लाख रुपये महीने का घोटाला सिद्ध हो सकता है।
इस फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड जौनपुर के आलोक कुमार ने पूछताछ में बताया है कि उसने देश भर के 14 राज्यों के 42 टोल प्लाजा में यह साफ्टवेयर इंस्टाल किया है। उसके दो दोस्तों सावंत एवं सुखान्तु भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा कर रहे हैं और उनको भी मिला लें तो ऐसे टोल प्लाजा की संख्या लगभग 200 हो जाती है।
गिरफ्तार आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की तैयारी
एसटीएफ ने 21 जनवरी को एमसीए डिग्री धारी आलोक कुमार सिंह, टोल प्लाजा के मैनेजर प्रयागराज के राजीव मिश्रा और मप्र के सीधी जिले के निवासी टोल कर्मी मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया था। शिवा बिल्टेक में आइटी इंजीनियर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के रहने वाले सावन लाल कुम्हावत को बीते शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस आलोक और अन्य तीनों आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है।
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