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    Flood in Kashi : 'शाम की दवाई' नाव से मंगाई, गंगा माई ने दी चुनौती तो बनार‍स‍ियों ने न‍िकाला जुगाड़

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 03:14 PM (IST)

    Flood in Varanasi गंगा की लहरों ने एक ओर आफत दी है तो दूसरी ओर नौका संचालकों के रूप में राहत भी तटवर्ती लोगों को म‍िल रही है। क‍िसी न क‍िसी काम से गल‍ियों से लेकर तट तक ग्राहक से लेकर फंसे लोगों तक को राहत देने के ल‍िए नौका संचालक लगे हुए हैं।

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    वाराणसी में बाढ़ शुरू होते ही जुगाड़ में लोग जुटने लगे हैं।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। 'हे गंगा माई, हम्‍हन के अब के बचाई?' का भाव ल‍िए बनारसी लोग गंगा माई की बाढ़ के लौटने का मनुहार और च‍िरौरी एक ओर कर रहे हैं तो दूसरी ओर वह लोग भी हैं जो अपनी 'शाम की दवाई' तक नाव से मंगा कर राहत तलाश रहे हैं।

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    एक ओर गंगा माई ने दी चुनौती तो बनार‍स‍ियों ने जुगाड़ न‍िकालना भी शुरू कर द‍िया है। एक ओर गंगा में बाढ़ से नौका का संचालन बंद है तो दूसरी ओर नौका संचालक गल‍ियों और कि‍नारों पर लोगों को राहत देने के बदलने आय प्राप्‍त कर रहे हैं।

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    भला नौका संचालक दो माह तक बाढ़ में नौका संचालन बंद रहने से भुखमरी के कगार पर आ जाएं ऐसा न तो गंगा माई चाहती हैं और न ही गंगा पुत्र। ल‍िहाजा सुबह से आधी रात तक गंगा के क‍िनारे गल‍ियों में उम्‍मीदों की टोह लेते ग्राहक तलाशते नजर आते हैं। 

    एक प्रसार‍ित वीड‍ियो में कोन‍िया क्षेत्र के एक शाम की दवाई की दुकान बाढ़ प्रभाव‍ित क्षेत्र में आ गई है। ल‍िहाजा ग्राहक भी बाढ़ में कैसे दुकान पर पहुंचें यह भी बड़ी चुनौती है। बाढ़ में दुकान पर सन्‍नाटा है तो अचानक सन्‍नाटे को तोड़ती लहरों पर हलचल करती चप्‍पू की चाप से ग्राहक अपनी पसंदीदा दुकान तक पहुंच ही जाते हैं। कुछ तो आगे भी कई द‍िनों तक बाढ़ की आशंका में स्‍टाक भी जमा कर रहे हैं।

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    यहां पर दुकान खुली है और ग्राहक की उम्‍मीदें भी दुकान से ही जुड़ी हैं ल‍िहाजा दवाई लेकर ग्राहक नौका से ही क‍िनारे क‍िनारे अपनी चौखट पर लौट आते हैं। ऐसे में दुकानदार की आमदनी भी हो रही है और नौका चालक को भी संबल जेब में म‍िल जा रहा है।  

    दूसरी ओर शवदाह करने के ल‍िए गंगा क‍िनारे आए लोग भी नौका का सहारा गल‍ियों में लेकर शव को छत पर शवदाह करने के ल‍िए जुगत तलाश रहे हैं। बाढ़ में गंगा पुत्रों की गल‍ियों में नौका चल रही है और ग्राहकों को राहत भी गल‍ियों तक प्रदान कर रही है। इससे नौका संचालकों की आजीव‍िका भी चल रही है और पर्यटक या शवदाह की नहीं बल्‍क‍ि शाम की दवाई तक का जुगाड़ हो रहा है। 

    दूसरी ओर न‍िचले इलाकों में फंसे लोगों को न‍िकालने के ल‍िए भी नौका का सहारा लोग ले रहे हैं। नौका के सहारे से ही लोग बाढ़ में फंसे अपने लोगों तक राहत भी पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर एक दो राउंड मारकर नौका से ही घर की रखवाली भी कर पा रहे हैं।

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