त्वचा रोग सोरियासिस का आयुर्वेद में सफल उपचार, बीएचयू के तीन चिकित्सकों ने किया शोध
सोरियासिस त्वचा में सूजन पैदा करने वाली एक जटिल बीमारी है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अभी इसके कारण पूरी तरह समझने में लगा हुआ है। हालांकि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका बेहतर इलाज है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में हर मंगलवार को सोरियासिस के मरीजों को देखा गया।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। सोरियासिस त्वचा में सूजन पैदा करने वाली एक जटिल बीमारी है। इससे विश्व में करीब चार फीसद और भारत की बात की जाए तो यहां पूरी आबादी के सापेक्ष 2.8 फीसद तक लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अभी इसके कारण पूरी तरह समझने में लगा हुआ है। हालांकि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका बेहतर इलाज है। इसके लिए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में रस शास्त्र विभाग द्वारा ओपीडी में हर मंगलवार को सोरियासिस के मरीजों को देखा गया।
विभाग के चिकित्सक डा. गुरुप्रसाद निल्ले, प्रो. आनंद कुमार चौधरी व डा. लक्ष्मी नारायण गुप्त ने चिकित्सीय परामर्शों के तहत त्वचा की इस जटिल बीमारी पर शोध में सफलता पाई गई है। छह माह में इस रोग को ठीक कर लिया गया। यह शोध आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद, नई दिल्ली की पत्रिका जर्नल आफ आयुर्वेदा केस रिपोर्ट में 16 अक्टूबर को प्रकाशित हुआ।
प्रो. चौधरी बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार सोरियासिस बीमारी के कारण अभी निश्चित नहीं हो पाए हैं। वैसे आयुर्वेद के अनुसार तनावपूर्ण जीवन, खान पान में बदलाव जैसे दूषित मीट-मछली, मद्यपान का अधिक सेवन, दूध, नमकीन या खट्टी चीजों का एकसाथ सेवन, भरपेट गरिष्ट भोज्य द्रव्यों (सुपाच्य नहीं) का नित्य सेवन करना आदि कारण महत्वपूर्ण माने गए हैं।
यह दिखते हैं लक्षण
त्वचा लाल हो जाती है। रूखी त्वचा के साथ खुजलाने पर रूसी की तरह ऊपरी त्वचा निकलने लगती है। कभी-कभी छोटी-छोटी खून की बूंदें भी निकलने लगती हैं। ऐसे में तत्काल चिकित्सकीय परामर्श ले लेना चाहिए।
छह माह में ठीक हुई यह बीमारी
रामनगर की एक महिला के पाल्मोप्लांटार सोरियासिस नामक बीमारी के सफल इलाज का केस इस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। आयुर्वेदिक चिकित्सा से वह पूरी तरह ठीक हो गई। एक साल बाद भी उसमें रोग की पुनरावृत्ति नहीं देखी गई जो पूर्णत: ठीक होने का लक्षण माना जाता है।
उपचार के दौरान वर्जित :
इस बीमारी में दही, अंडा, मीट-मछली, दूध और दूध से बनी चीजें व नमकीन का सेवन।
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