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    नवरात्र पर कलश स्‍थापना और अनुष्‍ठान पर काशी के ज्योतिषाचार्यों ने बताया सही मुहूर्त, आप भी नोट कर लें

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 07:38 PM (IST)

    वाराणसी में शारदीय नवरात्र की धूम शुरू हो गई है। भक्त आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना में लीन होने के लिए तैयार हैं। घरों में कलश स्थापना और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार नवरात्र 10 दिनों का होगा जिसमें महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी और विजयदशमी 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

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    देश भर में आदिशक्ति की आराधना का पर्व 22 स‍ितंबर से शुरू है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र सोमवार से आरंभ होने जा रहा है। शिव की नगरी वाराणसी में मां दुर्गा की आराधना के रंग बिखरने लगे हैं। पंडालों और मूर्तियों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। देश में उत्‍सवी उल्‍लास है तो मुहूर्त को लेकर भी लोगों के मन में काफी प्रश्‍न हैं। 

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    सोमवार को प्रात:काल से ही घर-घर में कलश स्थापन किया जाएगा और नौ दिनों तक विभिन्न धार्मिक-आध्यात्मिक अनुष्ठान आरंभ होंगे। इस बार नवरात्र का पर्व 10 दिनों का होगा। महानवमी एक अक्टूबर को होगी, जिसमें सभी नौ दिवसीय अनुष्ठान पूर्ण होंगे। इसके बाद दो अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। काशी के ज्‍योत‍िषाचार्यों ने भी अनुष्‍ठान और मुहूर्त को लेकर अपनी गणना जारी की है।

    बताया क‍ि नवरात्र के इस अवधि में मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि में सोमवार को प्रात: से लेकर पूरे दिन कभी भी कलश स्थापित किया जा सकता है, क्योंकि इस बार चित्रा और वैधृति का योग नहीं है और प्रतिपदा रात्रि तक है। पूरे नवरात्र के दौरान घरों में पूजन अनुष्ठान के साथ-साथ देवी के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन-पूजन के लिए मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगेंगी।

    बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 21 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात 1:23 बजे लग जाएगी और 22 सितंबर की रात 2:55 बजे तक रहेगी। इस प्रकार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सोमवार को कलश स्थापना का योग पूरे दिन उपलब्ध रहेगा। हालांकि, अनुष्ठान साधना के लिए प्रात:काल से लेकर दोपहर तक का समय शुभ माना जाता है। प्रात: 6 बजे से 8 बजे तक और फिर 8:30 बजे से 10:30 बजे तक अत्यंत शुभ मुहूर्त है। अभिजीत मुहूर्त 11:37 बजे से 12:23 बजे तक रहेगा।

    उन्होंने बताया कि इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण नवरात्र 10 दिनों का होगा। प्रतिपदा और महाष्टमी का व्रत करने वाले श्रद्धालु एक अक्टूबर को दिन में 2:37 बजे के पूर्व पारण करेंगे। संपूर्ण नवरात्र का व्रत अनुष्ठान करने वाले साधकों के अनुष्ठान एक अक्टूबर को पूर्ण होंगे, किंतु पारण दशमी में दो अक्टूबर को किया जाएगा। महाषष्ठी की रात 28 सितंबर को शहर से गांव तक सभी पंडालों में प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।

    नवरात्र का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने की तैयारी जोरों पर है। भक्तजन इस अवसर पर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं। यह अवसर देवी की आराधना के साथ स‍िद्धि‍ और उनकी कृपा प्राप्‍त करने का एक बड़ा अवसर भी ज्‍योत‍िषाचार्य बता रहे हैं।