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    वाराणसी में सारनाथ को विश्व धरोहर बनाने की कवायद, यूनेस्को टीम ने किया दौरा

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 06:20 PM (IST)

    यूनेस्को के पुरातात्विक विशेषज्ञ हबीब रजा ने सारनाथ का दौरा किया जिसका उद्देश्य इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की संभावनाओं का मूल्यांकन करना था। उन्होंने संग्रहालय में पुरातात्विक अवशेषों का निरीक्षण किया और अधिकारियों से विकास कार्यों की जानकारी ली। सारनाथ को सूची में शामिल करने के लिए पुरातत्व विभाग ने 500 पेज का डोजियर बनाया है।

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    वित्तीय वर्ष 2025-26 में यूनेस्को इस पर विचार करेगा।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बौद्ध तीर्थ स्थालों में एक सारनाथ को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की कवायद को लेकर शुक्रवार को यूनेस्काे की ओर से नामित पुरातात्विक विशेषज्ञ हबीब रजा सारनाथ पहुंचे। पुरातत्व संग्रहालय में रखे राष्ट्रीय चिह्न सिंह शीर्ष, उस पर बने शेर, घोड़ा, हाथी और उसकी चमक को देखा।

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    बोधिसत्व की आदमकद प्रतिमा के इतिहास, हिंदू गैलेरी में रखे शिव द्वारा अंधका सुर वध की विशालकाय प्रतिमा को काफी देर तक देखते रहे। उसके साथ फोटोग्राफी भी की। करीब दो घंटे तक पुरातत्व संग्रहालय में रखे पुरातात्विक अवशेष और पुरातत्व विभाग के व्याख्यान केंद्र में खोदाई में मिले स्मारकों के संरक्षण की स्थिति के फोटो चित्र को देखा। हबीब रजा अपनी गोपनीय रिपोर्ट यूनेस्को सौंपेंगे। यदि सारनाथ यूनेस्को की सूची में शामिल होता है तो प्रदेश प्रदेश का चौथा धरोहर होगा। अभी प्रदेश में आगरा का ताजमहल, किला और फतेहपुर सीकरी है।

    विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में यूनेस्को ने भारत के सारनाथ को लिया है। सारनाथ को शामिल करने के लिए पुरातत्व विभाग ने पांच सौ पेज का डोजियर बनाया है जिसमें प्रमुख रूप से पुरावशेष की प्राचीनता, महत्व इतिहास का संग्रह किया। धमेख व धर्मराजिका स्तूप और चौखंडी स्तूप, संग्रहालय के रख-रखाव के साइट प्लान का मानचित्र के साथ स्थलों के करीब 100 वर्ष पुराने फोटो को वर्तमान स्मारकों संग तुलनात्मक स्वरूप को डोजियर में दिखाया है।

    पिछले एक वर्ष से चल रहे कवायद के बीच यूनेस्को की ओर से नामित और बांग्लादेश के रहने वाले और यूनेस्को की ओर से नामित हबीब रजा तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे सारनाथ पहुंचे। संग्रहालय में राष्ट्रीय चिह्न सिंह शीर्ष के बाद हिंदू गैलेरी में रखे शिव द्वारा अंधका सुर वध की विशालकाय प्रतिमा को देखने और पूछने पर नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट के प्रो.बीआर मणि ने बताया कि यह प्रतिमा वर्षों यहां है। इसे हटाना मुश्किल है।

    उसके बाद नवग्रह को देख कर हबीब रजा बोले कि यह तो पहले नवग्रह के मूर्तियों को मंदिरों और आंगन, भवनों के द्वार पर लगाए जाते थे। काफी भारी पत्थर है। फिर गोल्ड गैलेरी में पहुंचकर गोल्ड के आभूषण को देखा। इसकी ऐतिहासिकता की भी जानकारी ली। इस अवसर पर संयुक्त महानिदेशक एमएस चौहान, अधीक्षण पुरातत्व विद डा. वीरी सिंह, सहायक अधीक्षण पुरातत्व विद् अनिल सिंह, विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया रहीं।

    सारनाथ के विकास का रखा सच

    कमिश्नरी सभागार में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार की मौजूदगी में यूनेस्को की ओर से नामित और बंग्लादेश के पुरातात्विक विशेषज्ञ हबीब रजा को सारनाथ और आसपास गांवों में कराए गए विकास कार्य व इतिहास के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। भारत सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट के डा. बीआर मणि विस्तार से सारनाथ के इतिहास के बारे में जानकारी दी।

    वाराणसी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने प्रो पुअर पर्यटन विकास योजना से कराए गए कार्यों और उससे होने लाभ के बारे में बताया। संयुक्त पर्यटन निदेशक दिनेश कुमार ने बताया कि आसपास के लोगों को रोजगार के देने के लिए 286 लोगों का कार्ट बांटा गया है। साथ ही उन्हें रोजगार के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है। सभी ने सारनाथ के विकास का सच रखा। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा, सीडीओ हिमांशु नागपाल आदि मौजूद रहे।

    टीम ने हैंडीक्राफ्ट दुकानदारों से ली जानकारी

    यूनेस्को की टीम ने हैंडीक्राफ्ट अनिल राजभर, शनि, सुरेंद्र आदि दुकानदारों से उनके द्वारा बेचने वाले सामानों के बारे में जानकारी ली। दुकानदारों ने कहा कि फिलहाल 40 प्रतिशत रोजगार में इजाफा हुआ है। पर्यटकों की मांग पर कारीगर को आर्डर कर समान बनवाते हैं। इस दौरान विशेषज्ञ हबीब रज़ा ने हैंडीक्राफ्ट दुकानों की फोटोग्राफी खुद की।