RSS सर संघचालक मोहन भागवत पांच दिवसीय प्रवास पर आज आएंगे काशी, ये है कार्यक्रम का शेड्यूल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत आज से पांच दिवसीय काशी यात्रा पर हैं। वह बाबतपुर एयरपोर्ट से सीधे निवेदिता शिक्षण संस्थान जाएंगे और शाम को प्रार्थना सभा में भाग लेंगे। अगले दिन एक शाखा में भाग लेने के बाद क्षेत्र प्रांत और विभाग प्रचारकों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद बीएचयू आइटियंस के साथ संवाद करेंगे। पांच अप्रैल को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करेंगे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत गुरुवार यानी आज पांच दिवसीय यात्रा पर काशी आएंगे। वह दोपहर साढ़े तीन बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पर आएंगे। यहां से सीधे महमूरगंज स्थित निवेदिता शिक्षण संस्थान जाएंगे।
शाम को प्रार्थना सभा में भाग लेंगे। अगले दिन सुबह एक शाखा में भाग लेंगे। इसके बाद क्षेत्र प्रचारक, प्रांत प्रचारक, विभाग प्रचारक के साथ बैठक करेंगे। यह बैठक पूरे दिन चलेगी। इसके बाद बीएचयू आइटियंस के साथ शाम को संवाद करेंगे।
ये है कार्यक्रम का शेड्यूल
राष्ट्र निर्माण पर आयोजित इस कार्यक्रम में आइआइटी के छात्र-छात्राओं के साथ गुरुजन भी शामिल होंगे। आरएसएस प्रमुख पांच अप्रैल को सुबह श्रीकाशी विश्वनाथ धाम जाएंगे और दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद काशी के प्रबुद्धजन से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करेंगे।
शाम को भी शाखा में भी शामिल होंगे। अगले दिन छह अप्रैल को सुबह शाखा में शामिल होंगे और सिर्फ युवाओं के साथ चर्चा व विशिष्टजन से मुलाकात करेंगे। अंतिम दिन सात अप्रैल को स्वयं सेवकों के साथ बैठक करेंगे और शाम को काशी से प्रस्थान करेंगे।
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मोहन भागवत बोले- हमारे शास्त्रों में निहित ज्ञान बहुत मूल्यवान
दो दिन पहले मोहन भागवत नागपुर में थे। विश्व के पुनर्निर्माण में भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों की महत्ता पर जोर देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि आज दुनिया समाधान के लिए भारत की तरफ देख रही है।
वैदिक गणित पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए भागवत ने वैश्विक कल्याण के लिए आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के साथ पांरपरिक भारतीय ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। हमारे शास्त्रों में निहित ज्ञान ना केवल भारतीय ज्ञान प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह वैश्विक संदर्भ में भी बहुत मूल्यवान है।
शास्त्रों की पुन: जांच करने को कहा
उन्होंने कहा था कि दुनिया काफी लंबे समय से समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है और आज यह मांग और भी ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें कोई अन्य समाधान नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर भारत विश्व का नेतृत्व करना चाहता है तो इसे पिछले दो हजार वर्षों में विकसित ज्ञान पर विचार करना चाहिए।
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