प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' में सुनाया काशी के बच्चों का तमिल ज्ञान
प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में काशी-तमिल संगमम् और काशी के बच्चों के तमिल ज्ञान की सराहना की। उन्होंने बताया कि हिंदी भाषी बच्चों ने धाराप्रवाह ...और पढ़ें

मन की बात कार्यक्रम के वर्ष के अंतिम संस्करण में वर्ष की उपलब्धियों और चिंताओं का उल्लेख किया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम के वर्ष के अंतिम संस्करण में वर्ष की उपलब्धियों और चिंताओं का उल्लेख किया। इस अवसर पर उन्होंने देश की प्राचीनतम भाषा तमिल के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया। उन्होंने काशी-तमिल संगमम् का विशेष उल्लेख किया, जो इस वर्ष का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम रहा।
मन की बात के इस संस्करण में प्रधानमंत्री ने आडियो क्लिप सुनाए, जिनमें काशी के बच्चे धाराप्रवाह तमिल बोलते हुए सुनाई दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सोच सकते हैं कि ये बच्चे तमिल भाषी होंगे, लेकिन वास्तव में ये काशी के हिंदी भाषी बच्चे हैं। इस वर्ष काशी तमिल संगमम् का थीम "लर्न तमिल, कलकरम् तमिल" रखा गया था। इस पहल के तहत 100 से अधिक शिक्षकों ने विभिन्न स्कूलों में तमिल भाषा का शिक्षण दिया।
इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में लगभग तीन सौ बच्चे काशी से तमिलनाडु गए, जहां उन्होंने तमिल संस्कृति और भाषा का अनुभव किया। प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम् में लोगों की भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल भाषा के प्रचार में सहायक है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है।
काशी में प्रधानमंत्री के मन की बात को सामूहिक रूप से सुनने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर विशेष आयोजन किए। इनमें से एक मुख्य कार्यक्रम भाजपा महानगर कार्यालय में आयोजित किया गया, जहां कार्यकर्ता टिफिन के साथ एकत्रित हुए।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर काशी के बच्चों की प्रतिभा की सराहना की और कहा कि यह देखकर गर्व होता है कि काशी के बच्चे तमिल भाषा में इतनी दक्षता हासिल कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह संस्कृति और पहचान का भी प्रतीक है।
बताया कि काशी तमिल संगमम् ने न केवल भाषा के प्रति बच्चों की रुचि को बढ़ाया है, बल्कि यह सांस्कृतिक समागम का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री ने इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी को प्रेरित किया और कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखना चाहिए।

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