पंडित छन्नूलाल का जनप्रिय गीत "खेलें मसाने में होली दिगंबर..." से पुलिस बैंड ने दी अंतिम विदाई
प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मीरजापुर में अंतिम सांस ली। पंडित जी 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया। राजकीय सम्मान के साथ मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन से काशी में शोक की लहर है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ख्यात शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। ऐन दशहरे के दिन प्रात:काल उन्होंने छाेटी बेटी नम्रता मिश्रा के मीरजापुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर वाहन से औरंगाबाद स्थित आवास पर लाकर दर्शनार्थ रखा गया। रात में अंतिम यात्रा निकाली गई।
मणिकर्णिकाघाट पर अंत्येष्टि की गई। मुखाग्नि पौत्र राहुल मिश्र ने दी। पं. छन्नूलाल मिश्र की चार बेटियां और एक बेटा हैं। पत्नी मनोरमा और एक बेटी संगीता का चार वर्ष पूर्व कोविड के दौरान निधन हो गया था।
पं. छन्नूलाल मिश्र 2014 में वाराणसी से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावक रहे थे। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। घर से लेकर घाट तक शोक-श्रद्धांजलि और परिजनों को सांत्वना देने के लिए लोग उमड़ते रहे। इसमें पद्मश्री शिवनाथ मिश्र, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, मंत्री डा. दयाशंकर मिश्र दयालु व रवींद्र जायसवाल, विधायक डा. नीलकंठ तिवारी समेत कलाकार, जनप्रतिनिधि, संगीत प्रेमी व काशी के प्रबुद्धजन थे। राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। पुलिस बैंड ने पंडित छन्नूलाल का जनप्रिय गीत "खेलें मसाने में होली दिगंबर..." बजा कर हर एक को भावुक कर दिया।
पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल की तबीयत लगभग सात माह से खराब थी। 11 सितंबर को सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें मीरजापुर के रामकृष्ण सेवाश्रम हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने पर 13 सितंबर की रात बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल लाया गया। तबीयत सुधरी तो 27 सितंबर को चिकित्सकों ने डिस्चार्ज कर दिया और वह पुन: बेटी के घर मीरजापुर चले गए थे।
तीन अगस्त 1936 को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में पं. बद्री प्रसाद मिश्र के घर जन्मे छन्नूलाल मिश्र का बचपन संगीत की धुनों से ही रंगा था। पिता से उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा मिली, जो आगे के यशस्वी जीवन का आधार बनी। पिता की दीक्षा के बाद बनारस पहुंचे पंडितजी ने किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खां से गहन प्रशिक्षण लिया।
उस्ताद की कठोर साधना ने उनकी गायकी को गहराई दी। इसके अलावा, ठाकुर जयदेव सिंह से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया। बनारस घराने की भावपूर्ण शैली-खासकर ख्याल और पूरब अंग ठुमरी में उनका दखल इतना गहरा था कि वह इसकी जीवंत मिसाल बन गए।
उनकी गायकी में बनारसी ठुमरी की मिठास और किराना की बारीकी का अनोखा मेल था, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता। लोक को शास्त्र से जोड़कर पंडित मिश्र ने नाद साधना की अप्रतिम ऊंचाइयां प्राप्त कीं और अपनी गायकी से छा गए। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने भी शोक संंवेदना प्रकट कर उन्हे श्रद्धांजलि दी है।
‘पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से भारतीय संगीत को अपूरणीय क्षति हुई है। बनारस घराने की इस महान संगीत विभूति ने गायन को नए आयाम दिए। कई अन्य सम्मान के साथ उन्हें पद्मविभूषण से भी अलंकृत किया गया था। मैं उनके प्रियजनों और प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।’ - द्रौपदी मुर्मु, राष्ट्रपति
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वह जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में अमूल्य योगदान दिया। काशी की परंपराओं और उत्सवों को अपने स्वर और गीतों से समृद्ध किया। मणिकर्णिका घाट पर होने वाली होली हो या सावन की कजरी, उनके संगीत से काशी सदा गुंजायमान होती रहेगी।
मेरा सौभाग्य है कि मुझे कई बार पंडित मिश्रजी से मिलने और उनका स्नेह पाने का अवसर मिला। 2014 के चुनाव में पंडितजी मेरे प्रस्तावक बने थे। काशी के विकास और परंपराओं पर पंडितजी ने कई बार महत्वपूर्ण सुझाव दिए। महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती पर वह हमारे आवास पर पधारे थे, जिसकी स्मृति आज गांधी जयंती के दिन यह संदेश लिखते हुए जीवंत हो गई है। यद्यपि पंडितजी आज सशरीर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन भारत का हर संगीत प्रेमी उनके जीवन से प्रेरणा लेता रहेगा तथा काशी उनके भजनों से उन्हें हर उत्सव में स्मरण करता रहेगा। पंडित जी के स्वजनों की पीड़ा मेरी व्यक्तिगत पीड़ा है। मेरी प्रार्थना है की कि बाबा विश्वनाथ पंडित छन्नूलाल मिश्र जी को अपने चरणों में स्थान दें और उनके शुभचिंतकों को दुःख की इस घड़ी में संबल प्रदान करें। -नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारतीय शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ, पद्मविभूषण और प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत-संगीत के उत्थान में समर्पित कर दिया। आपकी गायन कला साधकों के लिए एक प्रेरणा है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति व उनके शोकाकुल परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। -योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री
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