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    Ganga Bridge in Varanasi: गंगा पुल पर जुलाई में चालू होगी एक लेन, इस वजह से बढ़ानी पड़ी थी ब्रिज की लंबाई

    बनारस के संदहां से रेवासा चंदौली के मध्य 27.27 किलोमीटर फोरलेन सड़क बन चुकी है। चिरईगांव के बभनपुरा गांव में निर्माणाधीन पुल अगर धरातल पर उतर जाए तो रिंग रोड के इस हिस्से से वाहनों की आवाजाही शुरू की जा सकेगी। कटान की वजह से पिछले दिनों पुल की लंबाई बढ़ानी पड़ी थी। नए सिरे से कार्य होने के कारण प्रोजेक्ट विलंबित हुआ।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 23 May 2024 12:01 PM (IST)
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    रिंग रोड परियोजना के तहत निर्माणाधीन गंगा पुल का कार्य। एनएचएआइ

     संग्राम सिंह, जागरण वाराणसी। रिंग रोड पैकेज दो के दूसरे चरण की परियोजना की टाइमलाइन एक बार फिर आगे खिसक गई है। गंगा में बन रहे 1.74 किलोमीटर लंबे पुल ने प्रोजेक्ट को फंसा दिया है। इन दिनों सेगमेंट लांचिंग प्रक्रिया चल रही है। 75 प्रतिशत कार्य हो चुका है। जून तक शेष कार्य पूर्ण होने की उम्मीद है।

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    जुलाई में पुल की एक लेन चालू होने की उम्मीद है। बनारस के संदहां से रेवासा चंदौली के मध्य 27.27 किलोमीटर फोरलेन सड़क बन चुकी है। चिरईगांव के बभनपुरा गांव में निर्माणाधीन पुल अगर धरातल पर उतर जाए तो रिंग रोड के इस हिस्से से वाहनों की आवाजाही शुरू की जा सकेगी।

    कटान की वजह से पिछले दिनों पुल की लंबाई बढ़ानी पड़ी थी। नए सिरे से कार्य होने के कारण प्रोजेक्ट विलंबित हुआ। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने पहले फरवरी में एक लेन चालू करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद 31 मार्च समय सीमा निर्धारित की गई। अब जुलाई तक एक लेन चालू करने की तैयारी है।

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    एनएचएआइ के इंजीनियरों का दावा है कि वह ऐसा कर ले जाएंगे लेकिन धरातल पर कार्यप्रगति देखने पर लक्ष्य मुश्किल भरा प्रतीत हो रहा है। करीब 1155 करोड़ की परियोजना में मुंबई की कंपनी गैमन इंडिया ने करीब 850 करोड़ खर्च कर दिए हैं। इसमें करीब साढ़े पांच सौ करोड़ लागत सिर्फ पुल की है।

    पुल के बनने से 60.08 किलोमीटर लंबे रिंग रोड नेटवर्क को एक-दूसरे से जोड़ा जा सकेगा। वाहन रिंग रोड के जरिए शहर के बाहर से ही दूसरे जिलों की तरफ जा सकेंगे। चंदौली की तरफ से आने वाले वाहनों को लंबा फेरा लगाना नहीं होगा।

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    कैसे होती है सेगमेंट लांचिंग

    पुल के दो पिलर के बीच करीब 92 मीटर का स्थान खाली होता है। कंक्रीट के तीन सेगमेंट से इसे भरते हैं क्योंकि इसी सेगमेंट पर ही ट्रैफिक गुजरता है। क्रेन ट्रेलर पर सेगमेंट रखा जाता है, फिर लोहे की मजबूत चेन से लांचिंग गर्डर मशीन से सेगमेंट को लिफ्ट किया जाता है। इस मशीन के जरिए हर सेगमेंट को पिलर पर रखते हैं। गर्डर मशीन की लंबाई 72 मीटर के आसपास होती है।

    36 महीने में पूर्ण करना था प्रोजेक्ट, गंगधार ने बढ़ाई मुश्किल

    रिंग रोड फेज वन (16.55 किमी) और फेज दो (16.94 किमी) प्रोजेक्ट दो साल पहले ही पूर्ण हो चुका है। कानपुर, फतेहपुर, बुंदेलखंड, प्रयागराज, भदोही व बुंदेलखंड से आने वाले वाहनों को अब गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, जौनपुर, सुल्तानपुर व लखनऊ समेत कई जिलों में जाने के लिए शहर में दाखिल नहीं होना पड़ता।

    वह बिना जाम में फंसे रिंग रोड से बाहर निकल जा रहे हैं। 15 फरवरी 2019 को रिंग रोड कार्य स्वीकृत हुआ था। 36 महीने में प्रोजेक्ट पूर्ण करना था, लेकिन गंगा की कटान की वजह से प्रोजेक्ट फंस गया।

    रिंग रोड : दूसरा चरण (पैकेज-2)

    • संदहां से रेवासा चंदौली
    • 27.27 किलोमीटर लंबाई
    • 650 करोड़ सड़क लागत
    • 505 करोड़ रुपये पुल की लागत

    यूपी पूर्वी क्षेत्र के एनएचएआइ क्षेत्रीय अधिकारी समर बहादुर सिंह ने कहा कि जून तक पुल की दाहिनी तरफ की लेन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। जुलाई तक एक लेन पर ट्रैफिक चालू कर दिया जाएगा। दूसरी लेन को अक्टूबर तक शुरू करेंगे। एजेंसी को कार्यप्रगति बढ़ाने के आदेश हुए हैं।