अपने वेतन से देंगे मासूम को एक लाख मुआवजा
वाराणसी : चार साल पहले चोरी के शक में नाबालिग के साथ बर्बर व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियो
वाराणसी : चार साल पहले चोरी के शक में नाबालिग के साथ बर्बर व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को अपनी तनख्वाह से एक लाख रुपये मुआवजा देना होगा। मानवाधिकार आयोग की तरफ से संबंधित आदेश जिला पुलिस प्रशासन को मिल चुका है। मानवाधिकार आयोग के आदेश पर लंका थाने क्षेत्र के तत्कालीन सुंदरपुर चौकी इंचार्ज और एक सिपाही को पीड़ित नाबालिग को अपने वेतन से एक लाख रुपये देने पड़ेंगे।
चोरी के शक में पीटा था- सुंदरपुर निवासी 10 वर्षीय साहिल परिजनों के साथ भिक्षाटन कर अपना पेट भरता था। 21 मई 2013 की शाम वह भिक्षा मागता हुआ एक महिला के पीछे कुछ दूर तक चला गया। महिला ने उसे दो रुपये थमाए। थोड़ी देर बाद महिला अपने परिजनों के साथ सुंदरपुर पुलिस चौकी पहुंची। आशंका जताई कि भिक्षा मांगने वाले बालक ने ही उसके बैग से बड़ी धनराशि का चेक निकाल लिया है। महिला की निशानदेही पर पुलिस साहिल को चौकी पर लाई। आरोप है कि पुलिस साहिल को रातभर चौकी में बैठाए रखी और यातना दी। अगले दिन सुबह आरोप लगाने वाली महिला पुलिस चौकी पहुंची और बताया कि गुम हुआ चेक मिल गया है। पुलिस ने चेक मिलने की बात सुनकर साहिल को चौकी से भगा दिया।
पुलिस की बर्बर पिटाई से जख्मी नाबालिग के परिजन व मुहल्ले के लोग क्षुब्ध थे। अगले दिन जब ये खबर अखबार की सुर्खियां बनी तो पुलिस के आलाधिकारी तक खबर पहुंचीं, इसके बावजूद किसी पुलिसवाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में मानवाधिकार निगरानी समिति के लेनिन रघुवंशी ने मामले को मानवाधिकार आयोग के अलावा यूपी के आला अधिकारियों तक पहुंचाया। लगभग चार साल तक चली जाच के बाद अब मानवाधिकार आयोग ने ये आदेश दिया है कि आरोपी पुलिस वालों अपने वेतन से साहिल को बतौर मुआवजा एक लाख रुपये दें।