पूर्वांचल को मिलेगी बड़ी राहत, मंडलीय चिकित्सालय में स्थापित होगी एमआरआई यूनिट
वाराणसी के मंडलीय चिकित्सालय में 20 करोड़ रुपये की लागत से एमआरआई यूनिट स्थापित होने जा रहा है जिससे पूर्वांचल के लोगों को किफायती दर पर सुविधा मिलेगी। पहले मरीजों को रेफर करना पड़ता था लेकिन अब यहीं जांच हो सकेगी। छह साल से एमआरआई का इंतजार कर रहे लोगों के लिए राहत की खबर है।

शिवम सिंह, वाराणसी। पूर्वांचल में सबसे पहले 20 करोड़ रुपये की लागत से मंडलीय चिकित्सालय में एमआरआइ यूनिट स्थापित होने जा रहा है। इससे निश्चित ही एक बड़े वर्ग को एक रुपये के पर्चे पर फायदा होने जा रहा है। अभी तक एमआरआइ मशीन न होने से मरीजों को मजबूरी में रेफर कर दिया जाता था, लेकिन अब सहूलियत मिलने जा रहा है।
पूर्वांचल की जनता पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में छह साल से एमआरआइ के इंतजार में है। सरकारी अस्पताल में एक रुपये के पर्चे पर गरीब जनता को लाभ मिल सके। इसके लिए आजमगढ़ और वाराणसी मंडल में उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ लिमिटेड लखनऊ के द्वारा भवन निर्माण कराया गया। वाराणसी में 12 मार्च 2019 को ही हैंडओवर भी कर दिया गया, लेकिन आजतक सुविधा का संचालन नहीं हो सका, लेकिन अब मरीजों का इंतजार खत्म होने जा रहा है।
पूर्व में किए प्रयास अब होने जा रहे सफल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को छोड़ दें तो पूर्वांचल के सरकारी सिस्टम में एमआरआइ की व्यवस्था नहीं है। परिणाम बीएचयू में जांच के लिए कई माह तक की वेटिंग दर्द बढ़ाती है। प्रांतीय चिकित्सा सेवा में पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में छह साल पहले एमआरआइ मशीन लगाने की तैयारी थी। भवन भी बनकर तैयार हो गया, लेकिन मशीन लगना और संचालन होना तो दूर अब मेडिकल कालेज के लिए भवन टूटने जा रह है। ऐसे में नए स्थान की तलाश की जा रही है। आजमगढ़ में प्रस्तावित मशीन का भी यही हाल है। नौ दिसंबर 2024 को मंडलीय चिकित्सालय में निरीक्षण करने आए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से एमआरआइ मशीन स्थापित कराने के लिए दैनिक जागरण ने कोशिश की थी। इसके बाद 17 अप्रैल 2025 को एमडी एनएचएम एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव डा. पिंकी जोवेल से बात की थी। इस पर उन्होंने सीएमओ को शीघ्र शुरू कराने को कहा था।
96.81 लाख रुपये से खर्च कर बना भवन को तोड़ने की तैयारी
पं. दीनदयाल अस्पताल में एमआरआइ मशीन स्थापित कराने के लिए 2018 में प्रयास शुरू किया गया था। अब मेडिकल कालेज खोलना है। चिह्नित स्थान के दायरे में 96.81 लाख रुपये खर्च कर बनाया गया भवन भी आ गया। अब आयुष विंग, सीटी स्कैन सेंटर, ट्रामा सेंटर, साइकिल स्टैंड भी ध्वस्त करने पर निर्णय हो चुका है। ऐसे में वाराणसी मंडल के किसी भी सरकारी अस्पताल में एमआरआइ जांच की व्यवस्था नहीं है। बीएचयू में इसके लिए पांच हजार से अधिक रुपये लिए जाते हैं। प्राइवेट अस्पताल में 15 से 20 हजार रुपये इस जांच में लग जाते हैं।
बोले अधिकारी
तीन टेक्सला का लेटेस्ट माडल एमआरआइ लगने जा रहा है। 22 सितंबर को सीएसआर फंड से प्रस्तावित कर दिया गया है। सीडीओ हिमांशु नागपाल और सीएमओ डा. संदीप चौधरी से सहमति के बाद यह तय हुआ है। एमआरआइ के संचालन के लिए एचएलएल कंपनी से कोशिश की जा रही है। साथ ही अगर पीडीडीयू अस्पताल में भी एमआरआइ मशीन लगवाने के लिए कोशिश सीडीओ के द्वारा की जा रही है। - डा. बृजेश कुमार, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा।
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